धमतरी। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर दूर बसा है मोहलई गांव. करीब 1500 की जनसंख्या है. इस गांव के बुजुर्गों को बस एक ही चिंता सताए जा रही है और वो है अपने बच्चों की शादी.”

पानी ने रोकी बेटों की शादी”: धमतरी मोहलई गांव की साधना सोरी कहती हैं, ”शादी तय करने में दिक्कत आ रही है. हमारे गांव में कोई बेटी की शादी करना पसंद नहीं करते हैं. मां बाप को चिंता रहती है कि मेरे बेटे के लिए कोई लड़की नहीं मिल रही.””हमारे गांव में कोई शादी करना नहीं चाहता” गांव के ही टकेश्वर यादव कहते हैं कि ”मेरी शादी दस साल पहले हुई थी. मेरी तो शादी हो गई, लेकिन अब गांव में कोई शादी नहीं करना चाहता है.””पानी की समस्या से जिंदगानी प्रभावित”: ग्रामीणों ने बताया कि हमारे गांव में स्कूल, आंगनबाड़ी और दूसरी सुविधाएं तो हैं, लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत है पानी. गांव के सभी हैंडपम्प और बोरवेल सूखे हैं.
पानी टैंकर से रोजाना सप्लाई का विकल्प बच जाता है. गांव में सुबह शाम जैसे ही टैंकर आता है, पानी की होड़ मच जाती है. महिला, बच्चे, बुजुर्ग सभी बाल्टी और डब्बे लेकर टैंकर की तरफ भागते हैं.
ग्रामीणों ने यह तक कहा कि ”हमारा गांव पानी के लिए सुबह शाम बस दौड़ता भागता रहता है.”ग्रामीण महिला साधना सोरी कहती हैं कि ”बोर खुदवाते हैं तो भी पानी नहीं निकलता. 80-90 हजार रुपए कौन बर्बाद करेगा. पीने के लिए पानी चाहिए. खाना बनाने के लिए भी पानी लगता है और निस्तारी के लिए भी.”पानी की वजह से गांव में बेटों की नहीं हो रही शादी ।ग्रामीणों की बातों से यह समझ आया कि इस गांव में पानी की समस्या है, लेकिन गांव में कुंवारों की संख्या बढ़ने की वजह की पड़ताल अभी बाकी थी. इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमारी टीम ने ग्रामीणों से सीधा संवाद किया.
गांव की महिलाओं ने इसकी वजह बताई.”हमारे गांव में युवाओं की शादी नहीं हो रही”: गांव की महिला साधना सोरी ने बताया कि हमारे गांव में शादी तय करने में दिक्कत आ रही है. पानी की समस्या को देखते हुए हमारे गांव में कोई बेटी की शादी करना पसंद नहीं करते हैं. मां बाप को चिंता रहती है कि मेरे बेटे के लिए कोई लड़की नहीं मिल रही. यहां पानी की समस्या इतनी ज्यादा है कि आसपास के सभी लोगों को पता चल गया है कि यहां पानी की दिक्कत है, इसलिए बेटी नहीं ब्याहते.गांव के पुरुष भी कहते हैं कि पानी ही शादी नहीं होने के पीछे की असल वजह है.
ग्रामीण उत्तम नेताम बताते हैं कि लोग अपनी बेटी ब्याहने तो तैयार हो जाते हैं, लेकिन जैसे ही पानी की समस्या सुनते हैं तो रिश्ता नहीं करते. यानी इस गांव की बेटियों की तो शादियां होती है लेकिन गांव में बहु नहीं आती.धमतरी के मोहलाई गांव के ग्रामीण लोग कहते हैं कि तुम्हारे गांव में पानी का टेंशन है. हमारे गांव में शादी होती तो है, लेकिन गांव की बेटियां ब्याही जाती हैं, गांव के बेटे कुंवारे ही हैं. कुंवारों की संख्या भी बढ़ती जा रही है.- डिलेराम परते, ग्रामीण, मोहलई गांव, धमतरीपानी संकट और पीड़ा की कहानीग्रामीण बताते हैं कि जब पानी की समस्या विकराल होती गई तो हमने शासन प्रशासन से भी गुहार लगाई. पारस कोर्राम कहते हैं अधिकारियों से कई बार बोले हैं, सिर्फ आश्वासन मिलता है.
स्कूल में भी पानी की समस्या है. हमारे क्षेत्र में वाटर लेवल भी काफी नीचे है. बोर भी फेल हो जाते हैं.
धमतरी गंगरेल बांध के पास है मोहलई गांव: मोहलई गांव छत्तीसगढ़ के सबसे प्रसिद्ध गंगरेल बांध के पास ही बसा है. गंगरैल बांध से छत्तीसगढ़ के आधे जिलों की प्यास बुझाई जाती है. अब सवाल यह है कि जब दूसरे जिलों में पानी पहुंचाया जा रहा है तो फिर गंगरेल बांध के नजदीक बसे इस गांव में पानी की समस्या क्यों हैं.
इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने पीएचई विभाग के जिम्मेदारों से बातचीत की.जल संसाधन विभाग का क्या है तर्क?: धमतरी पीएचई विभाग की ईई आशा लता गुप्ता कहती हैं कि यह इलाका गंगरेल डैम के पास तो है, लेकिन इस इलाके की भूगर्भीय संरचना ऐसी है कि यहां पानी की दिक्कत है. यहां पानी इकट्ठा नहीं होता है. आशा लता गुप्ता ने बताया कि तीन प्रकार की भूगर्भीय संरचना होती है. पहली एक्वीफर होती है. यह ऐसा फार्मेशन है जो पानी सोखते भी हैं और पानी देते भी हैं.
दूसरा फॉर्मेशन एक्वीक्लूड फार्मेशन है, जो पानी ले तो लेते हैं किंतु पानी वापस नहीं देते हैं. आप उसमें हेंडपंप भी लगाएंगे तो पानी नहीं मिलता. वहां क्ले यानी मिट्टी का फार्मेशन होता है, वो पूरा पानी सोख लेता है. आप ट्यूबवेल लगाएंगे तो पानी आपके उपयोग के लिए नहीं मिलता है. -आशा लता गुप्ता, पीएचई विभाग, धमतरीतीसरा फार्मेशन एक्वीफ्यूज होता है, जो ना तो पानी लेता है और ना ही पानी देता है. यह तीन भूगर्भीय संरचना है.
गंगरेल डैम के पास का एरिया पथरीला या ग्रेनाइट वाला एरिया है जो ना तो पानी लेता है और ना पानी देता है. यही वजह है कि वहां पानी की समस्या है. – आशा लता गुप्ता, पीएचई विभाग, धमतरी200 से ज्यादा गांवों में ऐसी समस्या: अधिकारी ने बताया कि अकेले मोहलई नहीं बल्कि करीब 236 गांवों में पानी की समस्या है. हमने एक योजना बनाई है, जिसके तहत गंगरेल डैम का सरफेस वॉटर लेंगे. बड़ी टंकियों से गांव की टंकियों को भरा जाएगा, फिर घरों में नल के जरिए पानी पहुंचेगा. यह करीब 350 करोड़ की योजना है.
यह सिर्फ प्लानिंग के स्तर पर है. यह योजना स्वीकृत हो जाती है तो पानी की समस्या हल हो पाएगी.पीएचई विभाग की इंजीनियर आशा लता गुप्ताबहरहाल सरकारी योजना प्लानिंग लेवल पर है लेकिन मोहलई गांव के लोगों की सुबह और शाम इसी पानी की प्लानिंग में गुजरती है कि काश कहीं से पानी का जुगाड़ हो जाए.
गांव के कई युवा शादी की आस भी छोड़ चुके हैं. हालांकि ग्रामीणों को उम्मीद है कि एक दिन यह समस्या हल होगी और जैसे हमारे गांव की बेटियां दूसरे गांव में ब्याही जा रही है, वैसे ही दूसरे गांव की बेटियां भी हमारे गांव में शादी होकर आएंगी.