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दैनिक हाथोर समाचार, प्रतापपुर।
सूरजपुर जिले में शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली इन दिनों सवालों के घेरे में है। विशेषकर युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को लेकर शिक्षकों में भारी नाराजगी देखी जा रही है। केवल दो माह के भीतर एक ही व्याख्याता के चार बार तबादले संबंधी आदेश जारी होना विभागीय अराजकता का प्रतीक बन गया है।
जिला शिक्षा अधिकारी भारती वर्मा के कार्यकाल में युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में लगातार संशोधन और अनियमितताएं सामने आ रही हैं। व्याख्याता प्रियंका पांडे का मामला इसका प्रमुख उदाहरण है। उनके लिए 4 जून से 7 जुलाई 2025 के बीच चार बार तबादला आदेश जारी किया गया, जिनमें कई बार ऐसे स्कूलों में पदस्थ किया गया, जहां पद रिक्त ही नहीं थे।
शिक्षकों का कहना है कि विभाग की यह कार्यप्रणाली शिक्षकों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा रही है। “बिना आधार के शिक्षकों को अतिशेष घोषित कर देना और बार-बार आदेशों को बदलना न केवल अव्यवस्था है, बल्कि शिक्षक समाज के साथ मजाक है,” एक शिक्षक नेता ने कहा।
शिक्षक संगठनों ने विभागीय अधिकारियों पर मनमानी, पक्षपात और अपारदर्शिता के आरोप लगाए हैं। वहीं जनप्रतिनिधियों ने भी इस अव्यवस्था पर चिंता जताते हुए जांच की मांग की है।
शिक्षकों, जनप्रतिनिधियों और नागरिकों की मांग है कि युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया की निष्पक्ष जांच हो और शिक्षा विभाग की गरिमा बहाल की जाए। वरना यह अव्यवस्था जिले की शिक्षा व्यवस्था को गहरे संकट में डाल सकती है।
निक हाथोर समाचार, प्रतापपुर।
सूरजपुर जिले में शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली इन दिनों सवालों के घेरे में है। विशेषकर युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को लेकर शिक्षकों में भारी नाराजगी देखी जा रही है। केवल दो माह के भीतर एक ही व्याख्याता के चार बार तबादले संबंधी आदेश जारी होना विभागीय अराजकता का प्रतीक बन गया है।
जिला शिक्षा अधिकारी भारती वर्मा के कार्यकाल में युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में लगातार संशोधन और अनियमितताएं सामने आ रही हैं। व्याख्याता प्रियंका पांडे का मामला इसका प्रमुख उदाहरण है। उनके लिए 4 जून से 7 जुलाई 2025 के बीच चार बार तबादला आदेश जारी किया गया, जिनमें कई बार ऐसे स्कूलों में पदस्थ किया गया, जहां पद रिक्त ही नहीं थे।
शिक्षकों का कहना है कि विभाग की यह कार्यप्रणाली शिक्षकों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा रही है। “बिना आधार के शिक्षकों को अतिशेष घोषित कर देना और बार-बार आदेशों को बदलना न केवल अव्यवस्था है, बल्कि शिक्षक समाज के साथ मजाक है,” एक शिक्षक नेता ने कहा।
शिक्षकों, जनप्रतिनिधियों और नागरिकों की मांग है कि युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया की निष्पक्ष जांच हो और शिक्षा विभाग की गरिमा बहाल की जाए। वरना यह अव्यवस्था जिले की शिक्षा व्यवस्था को गहरे संकट में डाल सकती है।
शिक्षक संगठनों ने विभागीय अधिकारियों पर मनमानी, पक्षपात और अपारदर्शिता के आरोप लगाए हैं। वहीं जनप्रतिनिधियों ने भी इस अव्यवस्था पर चिंता जताते हुए जांच की मांग की है।