भाजपा सरकार के 18 महीने: कार्यकर्ताओं में असंतोष गहराया, प्रदेशभर में नाराज़गी की गूंज

हाथोर समाचार, रायपुर।छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बने 18 महीने बीत चुके हैं, लेकिन अब सरकार से कार्यकर्ताओं का मोहभंग होता साफ दिखने लगा है। जिस मेहनत और लगन से भाजपा कार्यकर्ताओं ने 2023 में सरकार बनाई थी, वही कार्यकर्ता अब खुद को उपेक्षित और अनसुना महसूस कर रहे हैं।

2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी थी, तब भी यही कहा गया था कि भाजपा कार्यकर्ताओं की अपनी ही सरकार से नाराजगी ने सत्ता कांग्रेस को सौंप दी। लेकिन 2023 में भाजपा कार्यकर्ताओं ने एकजुटता से पार्टी को पूर्ण बहुमत दिलाया। केंद्र सरकार की नीतियों को जनता तक पहुंचाया, लेकिन आज वही कार्यकर्ता अपनी ही सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने लगे हैं।

कार्यकर्ताओं का आक्रोश और नेतृत्व की अनदेखी

भाजपा के ज़मीनी कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार बनने के बाद वे खुद को हाशिए पर महसूस कर रहे हैं। न तो उनकी बातें सुनी जा रही हैं और न ही पार्टी के किसी कार्यक्रम में उनकी भागीदारी को अहमियत दी जा रही है। प्रदेश के कई हिस्सों से खबरें आ रही हैं कि कार्यकर्ता पार्टी कार्यालय जाना तक उचित नहीं समझ रहे।

एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमने जनता से वादा किया था कि सरकार बनने पर उनकी समस्याएं सुनी जाएंगी, लेकिन जब हमारी ही कोई नहीं सुनता तो जनता से किए वादे कैसे निभाएं? मंत्री सिर्फ व्यापारियों से घिरे रहते हैं, जो पैसा देता है वही सुना जाता है।”

रवि भगत को कारण बताओ नोटिस, केदार कश्यप के क्षेत्र में असंतोष की चिट्ठी

प्रदेश भाजपा युवा मोर्चा अध्यक्ष रवि भगत को पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि वे सोशल मीडिया में पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बयान दे रहे हैं, जो अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। नोटिस में 7 दिन के भीतर जवाब मांगा गया है कि क्यों न उन्हें प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया जाए लेकिन आमजन का कहना है कि रवि भगत नें सही विषय को संज्ञान में लेकर सरकार के पास रखा है इसमें सरकार को उचित पहल करने की आवश्यकता थी न की पार्टी द्वारा नोटिस देना चाहिए था ! संगठन के इस कदम से और भी सरकार की किरकिरी हो रही है ।

वहीं दूसरी ओर, भाजपा के वरिष्ठ मंत्री केदार कश्यप के गृह क्षेत्र नारायणपुर के पार्टी कार्यकर्ताओं ने सामूहिक इस्तीफा देने की चेतावनी दी है। उन्होंने एक पत्र के माध्यम से जिला अध्यक्ष से लेकर संगठन तक यह बात पहुंचाई है कि उनकी उपेक्षा की जा रही है और वे अब पार्टी से मोहभंग महसूस कर रहे हैं।

मैनपाट प्रशिक्षण शिविर और उसका असर

पार्टी में बढ़ते असंतोष को देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर हाल ही में मैनपाट में प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया, लेकिन सूत्रों के अनुसार इसका कोई विशेष असर नहीं पड़ा। शिविर समाप्त होते ही कुछ मंत्री व्यापारियों से मिलने पहुंच गए और उसे “सौजन्य मुलाकात” बताकर सोशल मीडिया में पोस्ट भी कर दिया, जिससे कार्यकर्ताओं में और असंतोष फैल गया।

क्या दोहराएगी इतिहास खुद को ?

प्रदेश भाजपा के संगठन प्रमुखों ने भले ही केंद्र को यह रिपोर्ट दी हो कि “प्रदेश में सब कुछ सामान्य है,” लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। भाजपा जैसी अनुशासित पार्टी में जब युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता के क्षेत्र के कार्यकर्ता इस तरह से नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे हैं, तो यह बड़ा संकेत है कि संगठनात्मक स्तर पर कुछ ठीक नहीं है।

अगर भाजपा ने अभी भी अपनी कार्यशैली और नेतृत्व के व्यवहार में बदलाव नहीं किया, तो पार्टी को भविष्य में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है — और कांग्रेस को बिना मेहनत के ही सत्ता का अवसर मिल सकता है।

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