डूबा व्यापार, छूटा पति का साथ…पर नहीं टूटा हौसला, सत्तू-बेसन बेचकर 45 साल की सावित्री बनी सफल उद्यमी

Success Story Of Savitri Suman: अगर चाह ले तो अकेली महिला भी क्या नहीं कर सकती. यह बात चरितार्थ हो रही है, बिहार के जहानाबाद जिले में. यहां की रहने वाली सावित्री सुमन करीब 45 साल की हैं. पति का साथ छोड़े हुए काफी वक्त बीत गया है, लेकिन उन्होंने अपने हौसले को कभी कमजोर नहीं होने दिया. यही कारण है, जब जिंदगी गर्त में थी, तब उन्होंने चुनौती भरे वक्त से बाहर आकर व्यापार को पटरी पर ला दिया. और तो और अपने बच्चे को बेहतर पढ़ाई दिलाकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर बना दिया.  आज इनका बच्चा जानी-मानी Amazon जैसी बड़ी कंपनी में काम कर रहा है.

पहला गया व्यापार, फिर छूटा पति का साथ
सावित्री सुमन जहानाबाद की हैं. शुरू की जिंदगी ठीक-ठाक थी. बिस्किट का बिजनेस कर रही थी, पति बाहर का काम संभालते और पत्नी घर पर व्यापार की देखरेख करती थी. अचानक एक ऐसा कठिन वक्त आया कि जिस व्यापार से घर की रोजी-रोटी चल रही थी, उसका साथ ही छूट गया. अब ऐसे में नई राह तलाशने की बात हुई तो मन में सत्तू और बेसन का व्यापार करने का ख्याल आया.

ऐसे में पति के रहते हुए ही व्यापार शुरू हो गया. कुछ वक्त बीता ही था कि एक अनहोनी हो गई और पति का साथ छूट गया. शुरुआती व्यापार और उसके बाद पति का साथ छूट जाना, दोहरा संकट माथे पर सवार हो गया.

मुश्किलों का किया डटकर सामना
वे कहती हैं, ‘इस मुश्किल घड़ी में हमारे पास बच्चे की जिम्मेदारी और बिजनेस दोनों को संभालने की चिंता थी. हालांकि, ऐसे में हिम्मत रखकर किसी तरह से काम को आगे बढ़ाया. तब तक बच्चे की पढ़ाई भी हो रही थी. लोगों से मिलना-जुलना और मार्केटिंग करना, सब कुछ मेरे कंधे पर था. लगातार मेहनत करती रही और आज मेरा बच्चा भी सॉफ्टवेयर इंजीनियर है. वह Amazon जैसी बड़ी कंपनी में काम कर रहा है. साथ ही हमारा व्यापार भी बहुत अच्छा चल रहा है. पहले से चार गुना बेहतर जिंदगी हो गई है. लोगों का साथ भी मिल रहा है

श्रृंगार रस की कवयित्री भी हैं सावित्री सुमन
लोकल 18 से वे कहती हैं कि ‘कभी जीवन में हार नहीं माननी चाहिए. परिस्थितियों का डटकर सामना करना आना चाहिए, कभी भी धैर्य नहीं खोना है. आज मैं सिर्फ अपना व्यापार ही नहीं संभाल रही, बल्कि मैं श्रृंगार रस की कवयित्री भी हूं. गीत, गज़ल, कविता लिखना मेरी विधा है.

अपने राज्य से बाहर जाकर जैसे चेन्नई, हरिद्वार, लखनऊ आदि कई जगह कविता पाठ करने का मौका मिला है. अपने देश से बाहर जाकर सिंगापुर में कविता पाठ कर अपने जिले का नाम रौशन किया.’ सावित्री को अंतरराष्ट्रीय गौरव भूषण सम्मान से सम्मानित होने पर जिला प्रशासन ने भी महिला दिवस पर सम्मानित किया.

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