रांची।झारखंड की सियासत से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक संरक्षक शिबू सोरेन का निधन हो गया है। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और दिल्ली के एक नामी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। इलाज के दौरान उनकी हालत लगातार बिगड़ती गई और सोमवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।

पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के निधन की पुष्टि उनके पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने की। उन्होंने ट्वीट कर शोक व्यक्त करते हुए लिखा—
“आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूँ…”
शिबू सोरेन का जीवन संघर्ष, आंदोलन और राजनीति से भरा रहा। 38 वर्षों तक उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा का नेतृत्व किया और आदिवासी समाज की आवाज बने रहे। उन्होंने 18 वर्ष की आयु में ‘संथाल नवयुवक संघ’ की स्थापना की थी। 1972 में एके रॉय और बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर झामुमो की स्थापना की और इसके महासचिव बने।
राजनीतिक जीवन की शुरुआत में 1977 का लोकसभा चुनाव वे हार गए थे, लेकिन 1980 में दुमका से सांसद चुने गए। इसके बाद 1989, 1991 और 1996 में वे पुनः लोकसभा पहुंचे। 2002 में वे राज्यसभा के लिए चुने गए, लेकिन जल्द ही डुमका से लोकसभा उपचुनाव जीतने के बाद राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया।
2004 में एक बार फिर लोकसभा में पहुंचकर उन्होंने मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय कोयला मंत्री का पद संभाला। हालांकि, चिरुडीह मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी होने के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।
शिबू सोरेन के निधन से झारखंड समेत पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। उन्हें ‘दिशोम गुरु’ के नाम से भी जाना जाता था। उनका जाना न सिर्फ झामुमो बल्कि पूरे आदिवासी समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।
सरकार ने शोककाल घोषित किया, अंतिम संस्कार की तैयारियाँ शुरू
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर झारखंड में राजकीय शोक घोषित किया गया है। रांची में झामुमो कार्यालय और पूरे राज्य में झंडे झुका दिए गए हैं। शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए जनता के सामने रखा जाएगा, जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।