हाथोर समाचार (बिट्टू सिंह राजपूत) सूरजपुर। बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा महोत्सव इस बार सूरजपुर जिला मुख्यालय में धार्मिक उल्लास के साथ राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र भी बन गया है। विशाल रावण दहन कार्यक्रम के लिए जारी आमंत्रण पत्र ने भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी को उजागर कर दिया है। इसमें पूर्व वन विकास निगम अध्यक्ष एवं पूर्व गृहमंत्री रामसेवक पैकरा , जिला पंचायत अध्यक्ष चंद्रमणि पैकरा ,जनपद पंचायत सूरजपुर अध्यक्ष श्रीमती स्वाति संत सिंह ,जिलाध्यक्ष व रेडक्रॉस सोसायटी चेयरमैन बाबूलाल अग्रवाल, जैसे दिग्गजों के नाम शामिल नहीं किए गए हैं।

इस आमंत्रण पत्र के सार्वजनिक होते ही गलियों और चौराहों पर बहस छिड़ गई। लोग पूछ रहे हैं कि भाजपा के बड़े नेताओं को क्यों दरकिनार किया गया? संगठन के भीतर वर्चस्व की लड़ाई ने कार्यकर्ताओं को भी असमंजस में डाल दिया है।
दशहरा महोत्सव सूरजपुर सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित होगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े शामिल होंगी, जबकि अध्यक्षता समिति प्रमुख भीमसेन अग्रवाल करेंगे। आमंत्रण में प्रतापपुर विधायक शकुन्तला पोर्ते का नाम प्रमुखता से है, लेकिन इसी क्षेत्र के पूर्व विधायक रामसेवक पैकरा और जिला पंचायत अध्यक्ष चंद्रमणि पैकरा को स्थान न मिलने से सवाल उठ रहे हैं।
अन्य प्रमुख अतिथियों में प्रेमनगर विधायक भुलन सिंह मरावी, नगर पालिका अध्यक्ष कुसुमलता राजवाड़े, कलेक्टर एस. जयवर्धन, एसपी प्रशांत ठाकुर, जिला पंचायत सीईओ बिजेंद्र पाटले और वनमंडलाधिकारी पंकज कमल शामिल हैं। शहर के हृदय स्थल पर होने वाले इस आयोजन में हजारों लोग रावण दहन का साक्षी बनेंगे। विशाल प्रतिमा, सांस्कृतिक कार्यक्रम और आतिशबाजी इस उत्सव को भव्य बनाएंगे, लेकिन राजनीतिक विवाद इसकी चमक फीकी कर सकता है।
भाजपा के कार्यकर्ताओं का एक वर्ग इसे संगठनात्मक भूल बता रहा है, जबकि दूसरा गुट इसे सोची-समझी साजिश मान रहा है। एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने कहा, “दशहरा हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है, लेकिन यहां गुटबाजी की जीत और एकता की हार दिखाई दे रही है।”
फिलहाल जिला भाजपा नेतृत्व ने इस पर चुप्पी साध रखी है, मगर सियासी हलकों में हलचल तेज है। लोग यह देखने को बेताब हैं कि क्या यह विवाद महोत्सव तक शांत होगा या और गहराएगा।
सूरजपुरवासी भव्य रावण दहन की तैयारी में जुटे हैं, पर मन में सवाल भी है – क्या इस बार का दशहरा भाजपा की आंतरिक कलह को भी जलाकर राख करेगा?