मध्यप्रदेश के इस पतालकोट के जंगल में रहस्मयी भूतिया पेड़ का रहस्य…आइए जानते हैं

छिंदवाड़ा। सतपुड़ा के घने जंगलों में बसे पातालकोट का हर कोना अपने भीतर अनगिनत रहस्य समेटे हुए हैं। यह स्थान अपनी प्राकृतिक सौंदर्य जैव विविधता और आदिवासी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है ।पातालकोट के इन्हीं जंगलों में एक विशेष पेड़ पाया जाता है। जिसे स्थानीय लोग भूतिया पेड़ कहते हैं ।यह पेड़ न केवल अद्वितीय है बल्कि औषधि गुणों से भी भरपूर है।

फोटो :पतालकोट की जंगल

यह पेड़ इस स्टकुलिया यूरेनस प्रजाति का है, जो मालवेशी परिवार का सदस्य है । यहां के वरिष्ठ पत्रकार और समाजसेवी नितिन दाता ने ETV भारत को बताया है की यह पेड़ तामिया के चिमटीपुर जाने वाले मार्ग पर देखा जा सकता है । इसके तने का रंग हल्का और सफेद होने के कारण यह रात में चांदी की तरह चमकता है। इसकी आकृति इतनी अनोखी होती है कि यह दूर से देखने पर किसी मानव आकृति या जीवंत कलाकृति जैसा प्रतीत होता है। वनस्पति विशेषज्ञ डॉक्टर विकास शर्मा के अनुसार यह पेड़ भारत के पर्णपति जंगलों में पाया जाता है। रात के समय इसकी चमक और आकृति से और भी रहस्य में बनती है इस विशेषताओं के कारण इसे “भूतिया” पेड़ का नाम दिया गया है।

वनो की घटती संख्या

नितिन दत्ता ने ईटीवी भारत को बताया है कि पहले पातालकोट और तामिया की जंगलों में भूतिया पेड़ काफी संख्या में पाए जाते थे ।लेकिन बढ़ती जनसंख्या और वनों की अतिक्रमण के कारण अब इनकी संख्या बहुत कम है । वर्तमान में यह पेड़ तामिया और पातालकोट की जंगलों में ही कहीं कही देखने को मिलते हैं ।

आदिवासियों के लिए वरदान

भूतिया पेड़ का रहस्य भले ही आम लोगों के लिए आकर्षण का विषय हो, लेकिन पातालकोट की भारिया जनजाति के लिए यह पेड़ किसी वरदान से काम नहीं है। वैध अमृतलाल भारती ने बताया कि इस पेड़ की छाल से निकलने वाला गोंद प्रसव के बाद महिलाओं को खिलाया जाता है। यह गोंद प्रोटीन का एक समृद्ध स्रोत है ,जो नवजात शिशुओं के लिए लाभकारी होता है ।इसके अलावा इस पेड़ की छाल से तैयार कढ़ा हृदय रोगों से बचाव करता है । भारीया जनजाति के लोग इस पेड़ की औषधीय उपयोगिता को खूबी समझते हैं ,और इसे अपने पारिवारिक उपचार में शामिल करते हैं।

डॉ विकास शर्मा बताते हैं कि स्टकुलिया यूरेन्स मध्यम आकार का पेड़ है ।जिसकी ऊंचाई लगभग 10 से 15 मीटर तक हो सकती है ।इसके तने की सतह चिकनी और हल्के सफेद रंग की होती हैं। यह पेड़ पर्णपाती जंगलों का हिस्सा है और इसकी अनूठी बनावट इस कला का जीवंत उदाहरण बनती है।

रहस्यमय में खूबसूरती और पर्यटकों का आकर्षण

पातालकोट का यह भूतिया पेड़ पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन गया है। इसकी अद्भुत आकृति और औषधीय गुण इसे अन्य पेड़ों से अलग बनाते हैं। पातालकोट की यात्रा करने वाले पर्यटक इस पेड़ को देखने के लिए उत्सुक रहते हैं।

सरंक्षण की आवश्यकता

पातालकोट के जंगलों में पाए जाने वाले अनोखे पेड़ को संरक्षित करना आवश्यक है ।वनस्पति वैज्ञानिक और स्थानीय प्रशासन को मिलकर इसे संरक्षण के लिए कदम उठाना चाहिए। यह न केवल जैव विविधता को बनाए रखने में मदद करेगा बल्कि पारंपरिक औषधीय ज्ञान को भी संरक्षित रखेगा।

भूतिया पेड़ न केवल प्रकृति का अद्भुत रचना है बल्कि यह आदिवासी के लिए औषधि संपदा का खजाना भी है। इसकी अनूठी बनावट और औषधीय उपयोग इसे और भी खास बनाते हैं ।लेकिन इसकी अस्तित्व को बचाने के लिए जागरुकता और संरक्षण की आवश्यकता है ।पातालकोट का यह रहस्य में पेड़ हमें प्रकृति के प्रति समान और संरक्षण का संदेश देता है।

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