Success Story: झारखंड के युवा का कमाल ,100 मुर्गियों से शुरू किया अंडे की व्यवसाय, पद्मश्री पुरस्कार की अनुशंसा तक पहुंच गई..!

Success Story:  धनबाद के बीरबल मंडल ने पोल्ट्री व्यवसाय के क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट कार्य से एक मिसाल कायम की है। कभी 100 मुर्गियों से शुरू किए गए इस व्यवसाय ने उन्हें सफलता के शीर्ष पर पहुंचा दिया। आज उनकी सफलता की कहानी पद्मश्री पुरस्कार की अनुशंसा तक पहुंच चुकी है।

पोल्ट्री व्यवसाय की शुरुआत

1996 में बीरबल ने 100 मुर्गियों से घर पर पोल्ट्री व्यवसाय शुरू किया। धीरे-धीरे उन्होंने बॉयलर फार्म का विस्तार किया। वर्तमान में उनके पास 25,000 बॉयलर फार्म हैं। उन्होंने स्थानीय किसानों को भी इस व्यवसाय से जोड़ा, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा हुए।

हेचरी और लेयर फार्म की स्थापना

2001 में उन्होंने हेचरी की फैक्ट्री लगाई और चिक्स का उत्पादन शुरू किया। इसके बाद 2011 में उन्होंने झारखंड का पहला लेयर फार्म खरीदा। आज उनके लेयर फार्म से डेढ़ से दो लाख अंडों का उत्पादन होता है। झारखंड में अंडे की 70% आपूर्ति बीरबल के फार्म से होती है।

सफलता और रोजगार

बीरबल मंडल के विभिन्न प्लांट्स में लगभग 400 मजदूर काम करते हैं और 800 लोगों को रोजगार मिला है। उनका कहना है कि वे झारखंड में पूरी अंडा आपूर्ति को संभालने और उत्पादन बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

बायोगैस प्लांट की योजना

बीरबल ने हेचरी से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थों का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए करने का निर्णय लिया है। इसके लिए दो बायोगैस प्लांट का निर्माण जारी है। यह पर्यावरण के लिए भी एक सराहनीय कदम है।

पद्मश्री पुरस्कार की अनुशंसा

धनबाद जिला पशुपालन विभाग ने बीरबल मंडल के नाम की अनुशंसा पद्मश्री पुरस्कार के लिए की है। जिला पशुपालन पदाधिकारी आलोक कुमार सिन्हा ने बताया कि बीरबल के मॉडल को राज्यभर में लागू करने की योजना है।

स्थानीय युवाओं को मिला रोजगार

बीरबल मंडल के प्रयासों से पलायन की समस्या कम हुई है। अर्जुन रजक, जो उनके प्लांट में काम करते हैं, ने बताया कि स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलने से युवाओं के जीवन में सुधार आया है।

पद्म पुरस्कार का महत्व

भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में शामिल पद्म पुरस्कार कला, समाज सेवा, उद्योग, और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिए जाते हैं। हर साल गणतंत्र दिवस पर इनके लिए चयनित नामों की घोषणा होती है।

बीरबल मंडल की कहानी न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा है। उनकी मेहनत, समर्पण, और नवाचार से उन्होंने पोल्ट्री व्यवसाय में अपनी अलग पहचान बनाई है। पद्मश्री पुरस्कार की अनुशंसा उनके योगदान को पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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