“सतना के साधक ने जड़ी-बूटियों से लिखा संतान प्राप्ति का नया अध्याय ,गांव के ज्ञान से वैश्विक पहचान, PM मोदी भी कर चुके हैं तारीफ,जानिए रामलोटन की कहानी

Madhaya Pradesh News: सतना। मध्य प्रदेश के सतना जिले के एक छोटे से गांव के निवासी रामलोटन कुशवाहा ने औषधीय ज्ञान के माध्यम से निसंतान दंपतियों के लिए एक नई उम्मीद जगाई है। उनके प्रयासों से न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी उनकी पहचान बनी है। वे संतान प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध पौधों पुत्रजीवा और धनमंत्री के उपयोग को लेकर चर्चा में हैं।

संतान प्राप्ति का चमत्कारी उपाय

पुत्रजीवा पेड़ को भारतीय परंपरा में संतान प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है। रामलोटन कुशवाहा का दावा है कि इस पेड़ के बीज और छाल का सही तरीके से सेवन करने से महिलाओं की गर्भधारण क्षमता बढ़ती है। उन्होंने बताया कि अब तक 20 से अधिक दंपतियों ने इस उपाय का लाभ उठाया है, और उनमें से सभी को संतान का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

उन्होंने इस प्रक्रिया के बारे में बताया, “पुत्रजीवा की छाल को महीन पीसकर दूध में मिलाया जाता है। इस मिश्रण का महीने में तीन बार सेवन गर्भधारण की संभावना को बढ़ाता है। यह विधि महिलाओं के लिए विशेष रूप से लाभकारी है।”

पुरुषों की प्रजनन क्षमता बढ़ाने में सहायक

पुरुषों के लिए धनमंत्री पेड़ की छाल उपयोगी मानी जाती है। रामलोटन के अनुसार, इसका सेवन वीर्य की गुणवत्ता में सुधार करता है। इस पेड़ की छाल को दूध में मिलाकर पीने से प्रजनन क्षमता बढ़ती है। प्राचीन काल में इसे ‘सोनभस्म’ कहा जाता था, जिसका उपयोग राजा-महाराजा भी करते थे।

प्राचीन जड़ी-बूटियों का आधुनिक उपयोग

रामलोटन का मानना है कि पुत्रजीवा और धनमंत्री के औषधीय गुण सिर्फ संतान प्राप्ति तक सीमित नहीं हैं। ये पेड़ स्वास्थ्य को संवारने और जीवन शक्ति बढ़ाने में भी मदद करते हैं। वे बताते हैं कि इन पेड़ों का उपयोग प्राचीन काल से होता आया है, लेकिन आधुनिक विज्ञान ने अब इनके महत्व को दोबारा मान्यता दी है।

स्थानीय पहचान से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान तक का सफर

रामलोटन के प्रयासों ने सतना जिले को औषधीय पौधों के क्षेत्र में विशेष पहचान दिलाई है। उनका कहना है, “हमारे देश में पारंपरिक ज्ञान का खजाना है। यदि इसे सही तरीके से प्रोत्साहित किया जाए, तो यह लाखों लोगों की समस्याओं का समाधान कर सकता है।” प्रधानमंत्री द्वारा सम्मानित किए जाने के बाद रामलोटन का कार्य और अधिक सराहनीय बन गया है।

सतना की नई पहचान

रामलोटन कुशवाहा की मेहनत ने सतना को औषधीय पौधों और पारंपरिक उपचारों के केंद्र के रूप में स्थापित कर दिया है। उनकी पहल न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराही जा रही है। उनके प्रयास साबित करते हैं कि पारंपरिक ज्ञान और प्राकृतिक संसाधनों के सही उपयोग से असंभव को संभव बनाया जा सकता है।

इस अनोखे प्रयास ने निसंतान दंपतियों को उम्मीद की एक नई किरण दी है और सतना को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिलाई है।

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