बिट्टू सिहं राजपूत ,सूरजपुर। प्रतापपुर जनपद पंचायत के ग्राम जज़ावल में गोरगी से गडही मार्ग तक मिट्टी-मुरूम और पुलिया निर्माण कार्य में मनरेगा योजना के नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। इस परियोजना के लिए 19 लाख 75 हजार रुपये का बजट निर्धारित किया गया था। इसमें मजदूरी के लिए 14 लाख 63 हजार रुपये, सामग्री के लिए 4 लाख 32 हजार रुपये और अन्य खर्चों के लिए 1 लाख 15 हजार रुपये आवंटित किए गए थे। लेकिन, निर्माण कार्य में मजदूरों की बजाय जेसीबी और ट्रैक्टर जैसे भारी मशीनों का उपयोग किया जा रहा है, जो मनरेगा के उद्देश्य के खिलाफ है।
मशीनों के इस्तेमाल से मजदूरों का रोजगार छिना
मनरेगा का उद्देश्य ग्रामीणों को रोजगार प्रदान करना है। इसके तहत मैन्युअल श्रम को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन ग्राम जज़ावल में मशीनों का अत्यधिक उपयोग मजदूरों के रोजगार में बाधा बन रहा है। स्थानीय मजदूरों ने शिकायत की है कि वे काम के लिए तैयार थे, लेकिन उन्हें काम पर नहीं लगाया गया।
एक स्थानीय मजदूर ने बताया, हमने सोचा था कि इस काम से हमें रोजगार मिलेगा, लेकिन यहां मशीनों से काम किया जा रहा है। यह हमारे लिए अन्याय है।
ग्रामीणों और मजदूरों का कहना है कि प्रशासन ने इस मामले में लापरवाही बरती है। मनरेगा के तहत कार्यों की निगरानी का दायित्व अधिकारियों का है, लेकिन यहां नियमों का उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने प्रशासन से दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
जिला पंचायत सीईओ ने दिया आश्वासन
जिला पंचायत सीईओ कमलेश नंदनी साहू ने कहा की , मामले की जांच की जाएगी। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मजदूरों को उनका हक मिले।
ग्रामीणों का कहना है कि जब तक मनरेगा के तहत कार्य में मैन्युअल श्रम को लागू नहीं किया जाएगा, तब तक योजना का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाएगा। उन्होंने स्थानीय प्रशासन से निष्पक्ष जांच और त्वरित कार्रवाई की मांग की है।
मनरेगा अधिकारियों और जनपद पंचायत सीईओ की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते निगरानी की गई होती, तो यह समस्या सामने नहीं आती। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है।