छत्तीसगढ़ में आजतक के रिपोर्टर के परिवार के तीन सदस्यों की बेरहमी से हत्या ,पुलिस के कार्यप्रणाली पर उठने लगी सवाल

बिट्टू सिहं राजपूत ,सूरजपुर। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में जमीन विवाद को लेकर आज तक न्यूज चैनल के पत्रकार संतोष टोप्पो के परिवार के तीन सदस्यों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। यह मामला राज्य में पत्रकारों और उनके परिवारों पर हो रहे हमलों की एक और कड़ी जोड़ता है।

क्या हुआ?

सूरजपुर जिले के खड़गवा चौकी क्षेत्र के जगन्नाथपुर इलाके में यह घटना हुई। मृतकों में पत्रकार संतोष टोप्पो के माता-पिता और भाई शामिल हैं। बताया जा रहा है कि जमीन विवाद को लेकर दूसरे पक्ष ने लाठी-डंडों और कुल्हाड़ियों से हमला कर दिया। इस हमले में पत्रकार संतोष के एक भाई किसी तरह अपनी जान बचाकर भागने में सफल रहे।

पुलिस की कार्रवाई पर सवाल

घटना के बाद पुलिस ने करीब 20 लोगों को हिरासत में लिया है। हालांकि, इस मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। मृतक परिवार के पक्ष में कोर्ट का फैसला आने के बावजूद, पुलिस ने उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैया नहीं कराई।

सूत्रों के मुताबिक, घटना से पहले दोनों पक्षों को समझाने के लिए पुलिस ने बुलाया था, लेकिन सुरक्षा के इंतजाम नहीं किया। इससे हमलावरों को हमला करने का मौका मिल गया।

पुलिस के रवैये से पत्रकारों में नाराजगी

सूत्रों की माने तो घटना के बाद पुलिस ने यह साबित करने की कोशिश कर रहा है की संतोष टोप्पो पत्रकार नहीं हैं। वहीं आजतक न्यूज ने अपने खबर में संतोष टोप्पो को जिला का पत्रकार बताया है ,और पुलिस ,जनसंपर्क विभाग से पत्रकार होने का प्रमाण मांग रही है, जबकि पूरे मामले में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए था।

स्थानीय प्रशासन की नाकामी

इतने बड़े हत्याकांड के बावजूद, मौके पर जिले के एसपी और एडिशनल एसपी की अनुपस्थिति और कानून व्यवस्था में सुधार की कोशिशों की कमी ने कई सवाल खड़े किए हैं।

इस घटना ने स्थानीय लोगों में दहशत और आक्रोश फैला दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन विवाद को लेकर बढ़ते हिंसक घटनाओं पर पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता को लेकर नाराजगी बढ़ रही है।

पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल

●क्या पुलिस को पहले से खतरे का अंदेशा नहीं था?

●क्यों पर्याप्त सुरक्षा नहीं दी गई?

●पत्रकार के परिवार की हत्या पर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी?

यह मामला सिर्फ एक परिवार का नहीं, बल्कि राज्य में कानून व्यवस्था और पत्रकारों की सुरक्षा पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।

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