सूरजपुर में बेखौफ जमीन माफिया: पूर्व सैनिक की जमीन पर कब्जा , कमीश्नर के आदेशों की उड़ाई धज्जियां

सूरजपुर अंबिकापुर के भू-माफिया अब सूरजपुर जिले में भी सक्रिय हो गए हैं। पटवारी और तहसील कार्यालय के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से ये माफिया खासकर अंबिकापुर-मनेन्द्रगढ़ रोड किनारे की बेशकीमती जमीनों की हेराफेरी में लगे हुए हैं। इनकी सेटिंग इतनी गहरी है कि ये खसरा नंबर तक बदलवा कर मनचाही कीमत पर जमीनें बेच रहे हैं।

इस गड़बड़ी का खुलासा अजबनगर निवासी राजेश रॉय की जमीन के मामले में हुआ। राजेश रॉय ने बताया कि रेलवे लाइन के बगल में स्थित उनकी पुश्तैनी भूमि — खसरा क्रमांक 953, 955/3 (पूर्व खसरा क्रमांक 543/14, 543/15) उनके दादा व नाना को भारतीय सेना से सेवानिवृत्त होने पर मिली थी। इस जमीन पर वर्षों से उनका परिवार खेती करता आ रहा था। लेकिन 2021-22 में अचानक उक्त भूमि पर त्रिभुवन सिंह का नाम दर्ज करा दिया गया।

राजेश रॉय ने इस मामले की शिकायत एसडीएम सूरजपुर से की, परंतु मामला 2023-24 में खारिज कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने अंबिकापुर कमिश्नर कार्यालय में गुहार लगाई, जहां से जमीन पर स्टे आदेश जारी कर दिया गया, ताकि कानूनी स्थिति स्पष्ट होने तक कोई निर्माण कार्य न हो।

स्टे के बावजूद रात में हो रहा अवैध निर्माण

कमिश्नर कार्यालय के आदेश के बावजूद भू-माफिया दबंगई के बल पर रात के अंधेरे में जमीन पर बाउंड्री वॉल बनवा रहे हैं। राजेश रॉय ने बताया कि अब खसरा क्रमांक 953, 955/3 ऑनलाइन रिकॉर्ड में मानमति नाम की महिला के नाम पर दिख रहा है। इसके बाद एक अन्य महिला कुछ भू-माफियाओं के साथ रात में अवैध बाउंड्री कराते पकड़ी गई। जब राजेश ने विरोध किया तो उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई।

इस घटना की शिकायत जयनगर थाने में की गई, जिसके बाद पुलिस के हस्तक्षेप से बाऊंड्रीवाल करा रहे मौजूद भू-माफिया मौके से फरार हो गए। भू-माफिया यह भी दावा कर रहे हैं कि वे जल्द ही कमिश्नर द्वारा लगाए गए स्टे आदेश को हटवा लेंगे।

लटोरी क्षेत्र में सबसे गंभीर हालात

जिले में जमीन हेराफेरी के मामले नए नहीं हैं। लटोरी क्षेत्र सबसे ज्यादा विवादग्रस्त है, जहां जमीन विवादों ने कई बार जानलेवा रूप ले लिया है। इसके बावजूद पटवारी और तहसील कार्यालय के कुछ कर्मचारी जमीनों की हेराफेरी में लिप्त हैं।

समय रहते प्रशासन को कदम उठाना जरूरी

जिले में जमीन की दलाली और भू-माफियाओं की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए जिला प्रशासन को तुरंत सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो करोड़ों की सरकारी और निजी संपत्तियां माफियाओं के कब्जे में चली जाएंगी, जिससे आने वाले समय में बड़े सामाजिक तनाव पैदा हो सकते हैं।

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