बिट्टू सिंह राजपूत, सरगुजा।सरगुजा जिले के अंबिकापुर में प्राइवेट अस्पतालों की तादाद तो तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इलाज की गुणवत्ता उतनी ही तेज़ी से गिरती जा रही है। इससे खासकर ग्रामीण क्षेत्र के गरीब परिवार जान और धन दोनों से हाथ धो रहे हैं। ताजा मामला शहर के चर्चित संकल्प अस्पताल का है, जहां इलाज में लापरवाही के चलते एक महिला की मौत हो गई।
बतौली निवासी अलका लकड़ा को पेट दर्द की शिकायत पर 24 अप्रैल को संकल्प अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में ऑपरेशन के बाद 7 मई को उसे छुट्टी दे दी गई। परिजनों के अनुसार, तीन दिन तक महिला की तबीयत ठीक रही, लेकिन फिर अचानक सांस लेने में तकलीफ होने लगी। जब उसे दोबारा संकल्प अस्पताल लाया गया, तो डॉक्टर द्वारा एक इंजेक्शन दिए जाने के तुरंत बाद उसकी हालत बिगड़ गई और देर रात इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
मृतका के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए बतौली थाने में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
एजेंट-प्रबंधन की मिलीभगत से ग्रामीणों का शोषण
यह मामला एक बार फिर अंबिकापुर के निजी अस्पतालों की अव्यवस्थाओं और एजेंटों के नेटवर्क को उजागर करता है। बताया जा रहा है कि जिला अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले ग्रामीण मरीजों को एजेंट निजी अस्पतालों की ओर मोड़ देते हैं, जहां उनसे भारी भरकम फीस वसूली जाती है। इलाज में लापरवाही बरतने या किसी मरीज की मौत होने पर मामले को दबाने के लिए उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई पहला मामला नहीं है। अक्सर भोले-भाले ग्रामीणों को गुमराह कर निजी अस्पतालों में भर्ती कराया जाता है, जहां उनके साथ खिलवाड़ होता है। आरोप यह भी है कि कई मामलों में राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तक्षेप के चलते कार्रवाई पर रोक लगा दी जाती है।
सबसे गंभीर सवाल यह है कि जब खुद जिले के कुछ जिम्मेदार अधिकारी निजी अस्पताल संचालित कर रहे हैं, तो फिर ऐसे मामलों में निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की उम्मीद कैसे की जा सकती है?
अब देखना यह है कि प्रशासन इस गंभीर मामले में क्या रुख अपनाता है और क्या निजी अस्पतालों की मनमानी पर कोई लगाम लगेगी?