छत्तीसगढ़ । ग्रामीण इलाके आदिवासियों के लिए जाने जाते हैं। उनकी भाषा, बोली और सांस्कृतिक रहन-सहन छत्तीसगढ़ की एक अलग छवि दिखाता है। छत्तीसगढ़ के आदिवासी वन औषधि और जड़ी-बूटियों के लिए भी प्रसिद्ध हैं। वे जंगल की उपज लाकर बाजारों में बेचते हैं और अपनी जीविका चलाते हैं। क्या आपको छत्तीसगढ़ के ऐसे बाजार के बारे में पता है जहां खुलेआम शराब बेची जाती है।
बस्तर बाजार में खुलेआम बिकती है शराब
छत्तीसगढ़ के बस्तर बाजार (लोकल बाजार) में आदिवासी महिला और पुरुष देसी शराब बेचने के लिए आते हैं। वे अपने साथ महुआ, ताड़ी और लांदा जैसी शराब लेकर आते हैं और बेहद सस्ती बेचते हैं। महुआ, ताड़ी और लांदा को बस्तर बीयर भी कहते हैं। शराब बेचने वाले आदिवासी महिला और पुरुष भी बस्तर बाजार में शराब का सेवन करते हैं।
लांदा
ये एक तरह की देसी शराब होती है जिसे चावल से बनाया जाता है। ये 3 दिनों में तैयार हो जाती है। लांदा का अगर औषधि के रूप में सेवन किया जाए तो इसके आयुर्वेदिक फायदे हैं, लेकिन ज्यादा मात्रा में ये शरीर को नुकसान पहुंचाती है।
महुआ (सुरम)
महुआ से बनी देसी शराब भी आदिवासी बस्तर बाजार में लेकर आते हैं। वे 10 रुपये में एक गिलास भरकर शराब बेचते हैं। आदिवासी पत्ते से बने दोने में शराब बेचते हैं। वे डिस्पोजल का इस्तेमाल नहीं करते हैं।
ताड़ी
ताड़ी ताड़ के पेड़ के रस से बनती है। ये सफेद रंग की होती है। आदिवासी नारियल से भी ताड़ी जैसी देसी शराब बनाते हैं और बाजार में बेचते हैं।
बस्तर बाजार में देसी शराब बेचने पर रोकटोक नहीं
आदिवासियों का कहना है कि बस्तर बाजार में देसी शराब बेचने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। वे आराम से देसी शराब बेचते हैं। आपको बता दें कि बस्तर के लगभग हर साप्ताहिक हाट बाजार में आदिवासी देसी शराब लेकर आते हैं।