रामगढ़ की ऐतिहासिक धरोहर को अदानी माइंस से खतरा, विपक्ष ने लगाए गंभीर आरोप ,तो पर्यटन मंत्री बोले नहीं होने देंगे नुकसान

दैनिक हाथोर समाचार, सरगुजा।
क्या नव नियुक्त पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री और अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल के सामने अब रामगढ़ की ऐतिहासिक धरोहर को अदानी की माइंस से बचाने की चुनौती खड़ी हो रही है? विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि राजेश अग्रवाल को अदानी कंपनी की अनुशंसा पर मंत्री बनाया गया है, ताकि माइंस संचालन में स्थानीय स्तर पर सहयोग मिल सके। हालांकि मंत्री अग्रवाल ने इन आरोपों को कई टीवी चैनलों में दिए इंटरव्यू में सिरे से खारिज किया है।

मंत्री बनने के बाद पहली बार अंबिकापुर आगमन पर आयोजित स्वागत समारोह में मीडिया के सवाल का जवाब देते हुए राजेश अग्रवाल ने स्पष्ट कहा कि उनके लिए सबसे बड़ी आस्था का केंद्र रामगढ़ है। यह देश की ऐतिहासिक और राष्ट्रीय धरोहर है, जिसे किसी भी कीमत पर क्षति नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने साफ कहा कि यदि किसी भी गतिविधि या खनन से रामगढ़ को नुकसान पहुंचा तो दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।

मंत्री अग्रवाल ने सरगुजा प्रवास के दौरान बताया कि रामगढ़ उनकी आस्था का स्थल है, जहां वे पिछले 50 वर्षों से नवरात्र में दर्शन करने जाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि 37 वर्षों से वे रामगढ़ में अष्टमी और नवमीं के अवसर पर भंडारा आयोजित करते हैं और स्वयं उपस्थित रहते हैं। मंत्री अग्रवाल ने दोहराया कि सरकार किसी भी कीमत पर रामगढ़ को नुकसान नहीं होने देगी और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

खनन से बढ़ा खतरा

हसदेव क्षेत्र में संचालित पीकेईबी और परसा कोल माइंस में लगातार ब्लास्टिंग से रामगढ़ पहाड़ी पर दरारें पड़ने लगी हैं। यहां लैंडस्लाइड की घटनाएं भी हो रही हैं। मंदिर पुजारियों का कहना है कि विस्फोटों के कारण रामगढ़ की चट्टानें दरक रही हैं और मंदिरों की संरचना भी खतरे में पड़ सकती है।

केते एक्सटेंशन खदान को गलत रिपोर्ट के आधार पर मिली मंजूरी

इसी मुद्दे पर बीते दिनों पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव ने गंभीर आरोप लगाए है। उन्होंने कहा कि केते एक्सटेंशन खदान को गलत रिपोर्ट के आधार पर मंजूरी दी गई। उनके अनुसार, इस खदान से रामगढ़ पहाड़ और जोगीमाड़ा मंदिर का अस्तित्व संकट में है। सिंहदेव ने आरोप लगाया कि एएसआई द्वारा संरक्षित रामगढ़ और जोगीमाड़ा की दूरी नापने के बजाय दो किलोमीटर दूर स्थित सीता बेंगरा से दूरी मापी गई और 10 किलोमीटर से अधिक बताकर खदान को स्वीकृति दी गई। उन्होंने चेतावनी दी कि यह गलत प्रक्रिया रामगढ़ की धरोहर के लिए गंभीर खतरा है।

क्या एतिहासिक धरोहर हो जाएगी नष्ट ?

वन विभाग ने भी यहां की कुछ चट्टानों को खतरनाक बताते हुए उन पर चेतावनी स्वरूप पेंटिंग कराई है। विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार खनन और विस्फोट से रामगढ़ की ऐतिहासिक धरोहर नष्ट हो सकती है।

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस धरोहर को बचाने की बात मंत्री खुद कर रहे हैं, वह उनके ही विधानसभा क्षेत्र में है जहां अदानी की कोल माइंस संचालित हो रही हैं। ऐसे में रामगढ़ की सुरक्षा और भविष्य को लेकर क्षेत्र में बहस तेज हो गई है।

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