दैनिक हाथोर समाचार ,राजपुर। बलरामपुर जिले के शंकरगढ़ विकासखंड में आंगनबाड़ी सहायिका नियुक्ति फर्जीवाड़ा मामले में कार्रवाई तेज हो गई है। पुलिस ने जांच के बाद चार और आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया है।

कलेक्टर बलरामपुर राजेंद्र कटारा के निर्देश पर दर्ज एफआईआर के आधार पर अब तक चार आंगनबाड़ी सहायिकाओं को जेल भेजा जा चुका है। वहीं, ताजा कार्रवाई में पुलिस ने समसुद्दीन अंसारी, उसके पुत्र आबिद अंसारी, बीएमओ कार्यालय शंकरगढ़ में पदस्थ कंप्यूटर ऑपरेटर शिवनारायण रवि और आरोपी सहायिका सुशीला सिंह के पति उमाशंकर पैकरा को गिरफ्तार किया है।
पुलिस जांच में सामने आया है कि फर्जी अंकसूची तैयार करने में इनकी मुख्य भूमिका रही। समसुद्दीन अंसारी अजीजी पब्लिक स्कूल भगवतपुर और कुसमी का संचालन करता है, जबकि उसका पुत्र आबिद अंसारी प्रिंसिपल है। तीन सहायिकाओं की नियुक्ति के लिए फर्जी अंकसूची अजीजी पब्लिक स्कूल भगवतपुर से तथा एक नियुक्ति के लिए कुसमी से जारी की गई थी। खास बात यह है कि आबिद अंसारी ने 2015-16 की अंकसूची पर क्लास टीचर के रूप में स्वयं हस्ताक्षर किया, जबकि उस समय उसकी उम्र मात्र 13 वर्ष थी।
मामले में पकड़े गए शिवनारायण रवि कंप्यूटर ऑपरेटर और उमाशंकर पैकरा की भी संलिप्तता पाई गई है। पुलिस का कहना है कि इस पूरे फर्जीवाड़े के पीछे एक संगठित गिरोह काम कर रहा था और जल्द ही मामले का खुलासा किया जाएगा।
गिरफ्तार मास्टरमाइंड समसुद्दीन अंसारी का आपराधिक इतिहास भी सामने आया है। वह पहले भी कई गंभीर मामलों में सजा काट चुका है। वर्ष 1999 में उसे एक आदिवासी नाबालिग बालिका से दुष्कर्म मामले में 7 वर्ष का कारावास मिला था। वहीं, 2017 में विधायक सामरी के रिश्तेदार राजीव पैकरा पर प्राणघातक हमले के मामले में भी उसे 7 वर्ष की सजा सुनाई गई थी।
स्थानीय स्तर पर सवाल उठ रहे हैं कि ऐसे आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति को स्कूल संचालन की अनुमति कैसे दी गई। जानकारी के अनुसार अजीजी पब्लिक स्कूल भगवतपुर की मान्यता समाप्त हो चुकी है और वर्तमान में यह बिना मान्यता के संचालित हो रहा है।