हाथोर समाचार ,बलरामपुर(नंद कुमार कुशवाहा) । छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में साड़सा लुत्ती बांध टूटने से मची तबाही के बाद गांव धनेशपुर का माहौल गमगीन है। शुक्रवार को एक ही परिवार के पांच सदस्यों की अर्थी एक साथ उठी तो गांव की आंखें नम हो गईं। मृतकों में वृद्धा बतशिया (61), उनकी बहुएं चिंता (35) और रजंती (28), पोता कार्तिक (6) और पोती प्रिया (9) शामिल हैं।

हिंदू परंपरा के अनुसार बतशिया का दाह-संस्कार किया गया, जबकि दोनों गर्भवती बहुओं और दो बच्चों को दफनाया गया। हादसे में रजंती की बेटी वंदना (3) और बुजुर्ग जितन खैरवार (65) अब भी लापता हैं।
हादसा मंगलवार रात उस समय हुआ जब 43 साल पुराना साड़सा लुत्ती बांध टूट गया। बांध की मेड़ का करीब 35 मीटर हिस्सा बहने से रामवृक्ष खैरवार का पूरा घर बाढ़ में समा गया। वे किसी तरह तैरकर बच निकले, लेकिन उनकी पत्नी, बहुएं और बच्चे लहरों की भेंट चढ़ गए।
घटना के बाद रामवृक्ष की हालत बदहवास है। गांव के लोग बताते हैं कि वे किसी से बात तक नहीं कर पा रहे हैं, लगातार उनकी आंखों से आंसू बह रहे हैं। वहीं परिवार के अन्य सदस्य गणेश और सजिवन, जो रोजी-रोटी के लिए बाहर गए थे, हादसे की खबर मिलते ही लौटे। लेकिन जिस परिवार को वे हंसता-खेलता छोड़कर गए थे, उसका अस्तित्व ही समाप्त हो चुका था। अंतिम संस्कार के दौरान भारी भीड़ उमड़ी। ग्रामीणों के साथ प्रशासनिक अधिकारी और पुलिसकर्मी भी मौजूद रहे।
बांध की मरम्मत नहीं, चेतावनी भी नजरअंदाज
ग्रामीणों ने जल संसाधन विभाग को पहले ही बांध के भरने और मेड़ के क्षतिग्रस्त होने की जानकारी दी थी। 27 अगस्त को विभागीय अधिकारी निरीक्षण कर लौट गए थे, लेकिन जरूरी मरम्मत नहीं की गई। लगातार बारिश के बाद बांध ओवरफ्लो होने लगा और अंततः 35 मीटर का हिस्सा टूट गया।
संक्रमण का खतरा, सहमे ग्रामीण
हादसे में चार परिवारों के घर क्षतिग्रस्त हुए हैं। उन्हें अस्थायी तौर पर स्कूल और आंगनबाड़ी भवन में रखा गया है। बड़ी संख्या में मवेशियों की भी मौत हुई है। उनके शव बहकर गांव में अलग-अलग जगहों पर सड़ने लगे हैं, जिससे दुर्गंध फैल रही है और संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। लोग भय और असुरक्षा के बीच जीने को मजबूर हैं।