नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश के भिंड में पत्रकार अमरकांत सिंह चौहान को दो महीने की सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया. चौहान ने भिंड के पुलिस अधीक्षक (SP) असित यादव पर मारपीट का आरोप लगाते हुए अपनी जान को खतरा होने का दावा किया था. जस्टिस रविंद्र डुडेजा ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि पत्रकार अमरकांत सिंह चौहान (55) को दो महीने तक सुरक्षा दी जाए. अदालत ने कहा, “इस दौरान याचिकाकर्ता संबंधित हाईकोर्ट में कानूनी उपाय के लिए आवेदन कर सकते हैं।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से दिल्ली में उस पुलिस थाने का विवरण देने को कहा, जहां चौहान रह रहे हैं, और उनका नंबर बीट अधिकारी व स्टेशन हाउस अधिकारी के साथ शेयर करने का आदेश दिया. हालांकि, दिल्ली पुलिस के वकील ने इस याचिका का विरोध किया. अमरकांत चौहान ने याचिका में बताया कि वह चंबल नदी में रेत माफिया और स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से हो रहे अवैध रेत खनन की रिपोर्टिंग कर रहे थे. इससे नाराज होकर बीती 1 मई को SP असित यादव ने उन्हें अपने चैंबर में चाय के बहाने बुलाया और मारपीट की. चौहान ने दावा किया कि उनके अलावा शशिकांत गोयल सहित आधा दर्जन से अधिक पत्रकार वहां मौजूद थे, जिनके कपड़े उतारकर शारीरिक हमला किया गया।
तीन पत्रकारों चौहान, प्रीतम सिंह राजावत और शशिकांत गोयल ने जिला कलेक्टर को शिकायत देकर SP कार्यालय में मारपीट और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था, जिसे SP ने खारिज कर दिया था. चौहान और गोयल ने 19 मई को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराने के लिए दिल्ली का रुख किया. चौहान ने याचिका में कहा कि वह भिंड में पुलिस उत्पीड़न के कारण मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर नहीं कर पाए और दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
उन्होंने बताया कि भिंड लौटने पर उनकी और उनके परिवार की जान को खतरा है. उन्होंने कोर्ट से संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और पेशे के अधिकार की रक्षा की मांग की. कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए चौहान को सुरक्षा देने का आदेश दिया।