बिट्टू सिंह राजपूत, अंबिकापुर। शहर से सटे ग्राम चोरकाकछार में शनिवार को वन भूमि पर किए गए अतिक्रमण को हटाने के लिए प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की। वन विभाग, नगर निगम, राजस्व और पुलिस बल की संयुक्त टीम ने सुबह 6 बजे 5 बुलडोजरों के साथ गांव में पहुंचकर अवैध रूप से बनाए गए 39 पक्के मकानों को ध्वस्त कर दिया। कार्रवाई के दौरान करीब 500 पुलिसकर्मी और 150 वनरक्षक मौके पर तैनात रहे।
करीब एक माह पूर्व वन विभाग ने 41 अतिक्रमणकारियों को बेदखली नोटिस जारी कर दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा था। लेकिन अधिकतर लोगों ने दस्तावेज नहीं दिए, जिसके बाद कार्रवाई तय मानी जा रही थी। दो लोगों ने वन भूमि का पट्टा दिखाया, जिससे उनके मकान फिलहाल बच गए।
इस कार्रवाई को लेकर गांव में पहले से ही तनाव की स्थिति थी। बीते सप्ताह दर्जनभर महिलाओं ने डीएफओ कार्यालय पहुंचकर कार्रवाई को एक विशेष समुदाय के खिलाफ बताते हुए विरोध जताया था। लेकिन विभाग ने स्पष्ट किया था कि सभी अवैध कब्जों को हटाया जाएगा, चाहे वे किसी भी वर्ग के क्यों न हों।

शनिवार को जैसे ही प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची, गांव में हड़कंप मच गया। ग्रामीणों की नींद खुली तो चारों ओर पुलिस बल और बुलडोजर देखकर लोग दहशत में आ गए। सुबह 7 बजे से विधिवत कार्रवाई शुरू की गई। कई महिलाएं रोती-बिलखती नजर आईं और मकान गिराने से रोकने की गुहार लगाने लगीं, लेकिन प्रशासन ने किसी की नहीं सुनी। कुछ लोगों ने स्वयं ही अपने घरों से सामान निकाल लिया।
ध्वस्तीकरण की यह कार्रवाई करीब 4 घंटे चली। कई लोगों ने बताया कि वे बीते 35-40 वर्षों से वहां रह रहे हैं। उन्हें कभी किसी ने नहीं रोका, न ही किसी विभाग ने आपत्ति जताई। यहां तक कि बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं भी उन्हें मिली थीं। लेकिन अब अचानक मकानों को तोड़ दिया गया, जिससे वे खुले आसमान के नीचे आ गए हैं।
अवैध कब्जा हटाने की यह कार्रवाई कई परिवारों के लिए पीड़ा बनकर आई है। महिलाओं और बच्चों को खुले में रात बितानी पड़ी। हालांकि प्रशासन का कहना है कि वन भूमि पर कब्जा किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी।