अंबिकापुर में यूरिया की कालाबाजारी, अधिकारी कर रहे खानापूर्ति ,दुकान में “यूरिया नहीं” का बोर्ड, अंदर मिला छिपा स्टॉक

दैनिक हाथोर समाचार ,अंबिकापुर। कृषि विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। अंबिकापुर के खरसिया रोड स्थित शंकर ट्रेडिंग नामक खाद दुकान में यूरिया की कालाबाजारी पकड़ी गई, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर दी गई। जानकारी के मुताबिक किसानों की लगातार शिकायत पर कलेक्टर के निर्देश पर कृषि विभाग, राजस्व विभाग और पुलिस की टीम ने छापामार कार्रवाई की।

दुकान में ‘यूरिया नहीं’ का बोर्ड, अंदर मिला स्टॉक

अधिकारियों को मौके पर दुकान के बाहर नोटिस चस्पा मिला जिसमें लिखा था कि यूरिया उपलब्ध नहीं है। जबकि तलाशी लेने पर अंदर से 37 बोरी यूरिया बरामद किया गया। किसानों का कहना है कि वे कई दिनों से इसी दुकान का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें खाद नहीं दिया जा रहा। सूत्रों के मुताबिक सुबह यहां एक ट्रक यूरिया उतरा था, लेकिन कुछ ही घंटों में वह पूरा स्टॉक गायब हो गया। यह भी बड़ा सवाल है कि जब यूरिया पॉस मशीन से ही बेचा जाता है तो आखिर दर्ज किए बिना 600 बोरी यूरिया कैसे गायब हो गया।

अफसरों की नरमी पर उठे सवाल

कार्रवाई के दौरान कृषि विभाग के अधिकारी व्यापारी का बचाव करते दिखे। उपसंचालक ने यह तक कह दिया कि दुकान में मिला यूरिया व्यापारी ने अपने उपयोग के लिए रखा था। यह बयान संदेह पैदा करता है कि कहीं कृषि विभाग और खाद माफियाओं की मिलीभगत तो नहीं है। दरअसल, यूरिया की कालाबाजारी लंबे समय से चल रही है और हर बार सूचना मिलने के बाद केवल औपचारिक कार्रवाई कर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।

किसानों को महंगे दामों पर मिल रहा यूरिया

ग्रामीण इलाकों में इन दिनों यूरिया की भारी किल्लत है। सहकारी समितियों में स्टॉक नहीं है और निजी दुकानों से किसानों को 700 से 1000 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से यूरिया खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। यही नहीं, दुकानदार किसानों को यूरिया के साथ अन्य उत्पाद भी खरीदने के लिए दबाव बना रहे हैं। अगर किसान अन्य उत्पाद नहीं लेते तो यूरिया का रेट दोगुना वसूला जा रहा है।

सप्लाई में भी गड़बड़ी

मालगाड़ी से सरगुजा संभाग में यूरिया की आपूर्ति नहीं हो रही है। सीधे कंपनियों से ट्रक द्वारा माल भेजा जा रहा है। कंपनियां यूरिया के साथ अन्य उत्पाद भी दुकानदारों पर थोप रही हैं। इस पर भी प्रशासन ने कोई कड़ा कदम नहीं उठाया है। किसानों का कहना है कि जब समय पर खाद नहीं मिलेगा तो धान और अन्य फसलों की पैदावार पर सीधा असर पड़ेगा।

जांच की मांग

किसानों ने मांग की है कि कृषि विभाग यह जांच करे कि किन-किन किसानों को बीते 15 दिनों में यूरिया बेचा गया है। साथ ही यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि आखिर ट्रक से आया पूरा माल अचानक कहां चला गया। जानकारों का कहना है कि जब तक खाद माफियाओं और अफसरों की मिलीभगत पर कड़ी कार्रवाई नहीं होगी, तब तक किसानों की परेशानी जस की तस बनी रहेगी।

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