CG Coal Scam Korba: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की खदानों में एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की कोयला चोरी का मामला सामने आया है। पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर की शिकायत के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने इस पर संज्ञान लेते हुए एसईसीएल (South Eastern Coalfields Limited), कलेक्टर कोरबा और एसपी को नोटिस जारी कर 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा है। इस घटना के बाद जिले के प्रशासनिक अधिकारियों और एसईसीएल के अफसरों पर सवाल उठने लगे हैं।
पूर्व गृह मंत्री की शिकायत पर जांच शुरू
ननकीराम कंवर ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को शिकायत दी थी कि कोरबा की कुसमुंडा, दीपिका और गेवरा कोयला खदानों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन और चोरी हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि एसईसीएल और जिला प्रशासन के अधिकारी इस अवैध गतिविधि में संलिप्त हैं।
उन्होंने बताया कि कोरबा की खदानों से निकलने वाले कोयले से राज्य और केंद्र सरकार को भारी राजस्व प्राप्त होता है, जिसका एक हिस्सा डीएमएफ (जिला खनिज न्यास) के तहत आदिवासी गांवों के विकास के लिए खर्च किया जाना चाहिए। लेकिन कोयला चोरी के कारण डीएमएफ फंड को नुकसान हो रहा है, जिससे आदिवासी समुदाय के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
रेलवे साइडिंग से कोयला चोरी का आरोप
पूर्व गृह मंत्री के अनुसार, एसईसीएल की खदानों से कोयला रेलवे साइडिंग तक ले जाते समय चोरी किया जाता है। उन्होंने दावा किया कि रेलकर्मी और अधिकारी “लोड अरेजमेंट” के नाम पर कोयला चोरी करने की अनुमति देते हैं। इस पूरे गोरखधंधे में कोल माफियाओं की संलिप्तता है, जिन्हें एसईसीएल और जिला प्रशासन के अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है।
राजस्व को हो रहा भारी नुकसान
कंवर ने अपनी शिकायत में यह भी कहा कि कोयला चोरी के कारण सरकार को करोड़ों रुपये की रॉयल्टी का नुकसान हो रहा है। इससे खनन प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक योजनाओं पर असर पड़ रहा है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एसईसीएल के अधिकारी और कर्मचारी मिलकर कोयला चोरी करवा रहे हैं, और यह कोरबा रेलवे स्टेशन के रेक पाइंट पर देखा जा सकता है।
केंद्रीय आयोग ने 15 दिनों में मांगी रिपोर्ट
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने एसईसीएल के चेयरमैन डॉ. पीएस मिश्रा, कलेक्टर कोरबा और एसपी सिद्धार्थ तिवारी को नोटिस जारी किया है। आयोग ने निर्देश दिया है कि 15 दिनों के भीतर डाक या व्यक्तिगत रूप से जवाब प्रस्तुत किया जाए।
सूत्रों के मुताबिक, यदि संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया तो आयोग इस मामले में कड़ी कार्रवाई की सिफारिश कर सकता है। इससे पहले भी कोरबा की खदानों में कोयला चोरी के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन इस बार केंद्रीय आयोग के दखल से यह मामला गंभीर हो गया है।