रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में शनिवार को एक भावुक वातावरण में लोकसभा सांसद बृजमोहन अग्रवाल के पूज्य पिताजी को अंतिम विदाई दी गई। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ सरकार के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, खल्लारी विधायक द्वारिकाधीश यादव, भाटापारा विधायक इंद्रसेन साहू, पूर्व विधायक मोतीराम चंद्रवंशी, वरिष्ठ समाजसेवी शिव नारायण द्विवेदी सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक, समाजसेवी एवं जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। सभी ने बापूजी के चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि, “पूज्य बापूजी किसी एक समाज या वर्ग के नहीं थे। उन्होंने जीवन भर समाज के हर वर्ग को जोड़ने, साथ लेकर चलने और सेवा करने का कार्य किया। वे राजनीति से ऊपर उठकर सामाजिक समरसता के प्रतीक थे। यही कारण है कि आज विभिन्न दलों, विचारधाराओं और समाज के सभी वर्गों से जुड़े लोग उन्हें एकसमान श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।”
एक समर्पित जीवन सांसद बृजमोहन अग्रवाल के पिता जी को ‘बापूजी’ के नाम से समाज में जाना जाता था। उन्होंने अपना पूरा जीवन सामाजिक कार्यों, सेवा और लोगों को जोड़ने में समर्पित कर दिया था। वे सादगी, धर्म और जनकल्याण के आदर्शों पर चलने वाले व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे समाज को नैतिक मूल्यों और मानवीयता का संदेश दिया। श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित जनप्रतिनिधियों ने एक स्वर में कहा कि बापूजी की सोच और कर्म राजनीति की सीमाओं से परे थी। वे जीवनभर विभिन्न समाजों, वर्गों और पीढ़ियों को जोड़ते रहे। यही कारण है कि आज उनके निधन पर पूरा प्रदेश शोकाकुल है। खल्लारी विधायक द्वारिकाधीश यादव और भाटापारा विधायक इंद्रसेन साहू ने कहा कि “बापूजी की शिक्षाएँ और संस्कार हम सभी के जीवन में प्रेरणा का स्रोत हैं। उनका जीवन हमारे लिए एक आदर्श है।”
श्रद्धांजलि सभा में उमड़ा जनसैलाब बापूजी को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए रायपुर के साथ-साथ प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से लोग पहुंचे। समाज के हर वर्ग, हर आयु और हर विचारधारा से जुड़े लोग श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए। श्रद्धांजलि देने पहुंचे लोगों की आंखों में जहां एक ओर सम्मान था, वहीं दूसरी ओर वियोग का गहरा भाव भी दिखा। अपने पूज्य पिताजी के निधन पर गहरे शोक में डूबे सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने सभी उपस्थित जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों और शुभचिंतकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “बापूजी का जीवन हम सबके लिए एक जीवंत ग्रंथ की तरह था। उन्होंने जो मूल्य और संस्कार हमें दिए, उन्हें जीवनभर आत्मसात करने का प्रयास करूंगा।”
