बिट्टू सिंह राजपूत , सूरजपुर। गुरुवार दोपहर करीब 12 बजे सूरजपुर जिला पंचायत भवन से अचानक धुआं उठता देखा गया। कुछ ही मिनटों में आग ने पूरे कार्यालय को अपनी चपेट में ले लिया। फायर ब्रिगेड की टीम ने आधे घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू तो पा लिया, लेकिन तब तक दफ्तर का अधिकांश हिस्सा जलकर खाक हो चुका था।
आग में 30 से अधिक कंप्यूटर, सरकारी दस्तावेज़, रिकॉर्ड फाइलें, फर्नीचर और डिजिटल स्टोरेज उपकरण पूरी तरह नष्ट हो गए। प्रारंभिक आकलन में लाखों की क्षति का अनुमान लगाया जा रहा है। खासकर जनकल्याणकारी योजनाओं, वित्तीय स्वीकृतियों और निर्माण परियोजनाओं से संबंधित दस्तावेज़ों का जलना चिंता का विषय बन गया है।
शुरुआती जांच में शॉर्ट सर्किट को आग की वजह बताया गया है। हालांकि, यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि जिला स्तर के इस महत्त्वपूर्ण कार्यालय में न तो अग्निशमन उपकरण थे और न ही समय पर वायरिंग की जांच करवाई गई थी। कार्यालय से जुड़े कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार वायरिंग की खस्ताहाली की शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, हाल के दिनों में कुछ विवादास्पद फाइलों को लेकर अंदरूनी कलह चल रही थी। आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारियों को लेकर चुप्पी भी देखी जा रही थी। ऐसे में संदेह जताया जा रहा है कि यह महज़ हादसा नहीं, बल्कि जानबूझकर की गई ‘साफ़-सफाई’ हो सकती है।
अब तक किसी वरिष्ठ अधिकारी ने इस घटना पर स्पष्ट बयान नहीं दिया है। जनता सवाल कर रही है अगर योजनाओं और फंड से जुड़े रिकॉर्ड नष्ट हो गए, तो जवाबदेही किसकी होगी? क्या यह आग कुछ छिपाने का जरिया तो नहीं?
यह घटना न सिर्फ सूरजपुर, बल्कि पूरे सिस्टम को यह सोचने पर मजबूर करती है ,कि जब तक काग़ज़ी दस्तावेज़ों की सुरक्षा नहीं होगी, तब तक डिजिटल इंडिया सिर्फ एक नारा ही रहेगा।