सेहत:  इन दिनों लकवा की शिकायत, शरीर में ना होने दें इस विटामिन की कमी, इसी के चलते आ रहे लकवा अटैक!

सेहत। इन दिनों लकवा होने के केसेज बहुत ज्यादा सुनने को मिल रहे हैं और लकवा की समस्या कम उम्र में ही हो रही हैं लेकिन ऐसी समस्या एकदम से क्यों हो रहा है।

लक्वा होने के पीछे हमारा लाइफस्टाइल और खानपान जुड़ा है लेकिन पैरालिसिस होने के पीछे बहुत सारे कारण हो सकते हैं।चलिए इस बारे में विस्तार से बताते हैं। लक्वा (पैरालिसिस) है क्या?लकवा एक वायु रोग है, जिसे पैरालिसिस, लकवा और पक्षाघात के नाम से भी जानते हैं।

लकवा एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति के शरीर के किसी हिस्से में ताकत या नियंत्रण खो जाता है। यह स्थिति तब आती है, जब मांसपेशियों और मस्तिष्क के बीच संचार सही से नहीं हो पाता है। लकवा शरीर के एक क्षेत्र में या पूरे शरीर में हो सकता है यानी शरीर के एक तरफ या दोनों तरफ हो सकता है। लक्वे की समस्या, आमतौर पर नर्वस सिस्टम यानी तंत्रिका तंत्र में आई खामियों के कारण होती है। पैरालायसिस, नसों से संबंधित बीमारी है जिसमें वोलेंटरी मसल्स का मूवमेंट बाधित हो जाता है।

नर्वस सिस्टम में दिक्कत के कारण सबसे ज्यादा लकवा मारने का खतरा रहता है। नर्वस सिस्टम ही दिमाग के जरिए पूरे शरीर को सिंग्नल या संकेत देता है। अगर नर्वस सिस्टम में कुछ डैमेज होता है तो सिग्नल का आदान-प्रदान मुश्किल हो जाता है इससे मसल्स तक संदेश नहीं पहुंचते हैं। लकवा होने की पहली कुछ निशानियां | 

Paralysis symptomsलकवा होने से पहले कुछ शुरुआती संकेत या लक्षण दिखाई देते हैं, जिन्हें पहचान कर समय पर इलाज किया जा सकता है। इन लक्षणों को पहचानना बेहद जरूरी है क्योंकि सही समय पर इलाज से गंभीर परिणामों को रोका जा सकता है।

अचानक कमजोरी (Sudden Weakness): शरीर के किसी हिस्से में अचानक कमजोरी महसूस होना। हाथ, पैर या चेहरे का कोई भाग काम करना बंद कर सकता है।

चेहरे का टेढ़ा होना (Facial Drooping): चेहरा एक तरफ झुक जाता है। मुस्कान देने की कोशिश में आधा चेहरा स्थिर रहता है।बोलने में कठिनाई (Difficulty in Speaking): बोलते समय शब्द बिगड़ने लगते हैं।

व्यक्ति अस्पष्ट (slurred) या धीमी आवाज में बात करता है। कुछ लोग पूरी तरह बोलने में असमर्थ हो जाते हैं।देखने में समस्या  आंखों में धुंधलापन या एक या दोनों आंखों से दिखाई देना बंद हो सकता है। डबल विजन (एक ही चीज़ दो बार दिखाई देना)।संतुलन खोना  चलते समय या खड़े होने में अस्थिरता महसूस होना।

चक्कर आना या बेहोशी जैसा अनुभव।सुन्नपन  शरीर के किसी हिस्से में झनझनाहट या सुन्नपन महसूस होना। विशेषकर एक तरफ का हाथ, पैर या चेहरा सुन्न हो सकता है।तेज सिरदर्द  अचानक, बिना कारण के बहुत तेज सिरदर्द होना। यह संकेत मस्तिष्क में रक्तस्राव का हो सकता है।समझने में परेशानी  सरल चीजें समझने में मुश्किल होना। किसी की बात का मतलब न समझ पाना।निगलने में कठिनाई  भोजन या पानी निगलने में समस्या होना। गले में रुकावट महसूस होना।थकान और कमजोरी  सामान्य काम करते समय थकावट महसूस होना।

शरीर के किसी हिस्से का भार उठाने में असमर्थता।लकवा कितने प्रकार का होता है?लकवा कई प्रकार के होते हैं चलिए लकवे के प्रकार के बारे में जानते हैं।मोनोप्लेजिया – लकवा में जब शरीर का कोई एक अंग (पैर या बांह) प्रभावित होता है, उसे मोनोप्लेजिया कहते हैं।हेमिप्लेजिया – हेमिप्लेजिया में बॉडी के एक तरफ का हिस्सा प्रभावित होता है। इसमें एक साइड का एक हाथ, एक पैर, पेट, कंधा, सीना प्रभावित हो सकता है।पैराप्लेजिया – इस तरह के लकवा में शरीर का निचला हिस्सा प्रभावित होता है, यानी कमर से नीचे का भाग, जिसमें दोनों पैर प्रभावित हो सकता हैं।कार्डियोप्लेजिया – कार्डियोप्लेजिया को टेट्राप्लेजिया के नाम से भी जाना जाता है।

इस स्थिति में शरीर के चारों भुजा यानी दोनों बांह और पैर प्रभावित होते हैं। बेल्स पाल्सी – कई बार शरीर के किसी अंग की मांसपेशियां जब काम करना बंद कर देती हैं, उस स्थिति को पाल्सी कहते हैं, बेल्स पाल्सी में चेहरे की मांसपेशियां प्रभावित होती है। ऐसे में चेहरे का भाग, जैसे- मुंह का टेढ़ा होना है, जिसके कारण बोलने और खाने-पीने में समस्या होने लगती है।विटामिन बी 12 की कमी भी लकवे के लिए जिम्मेदारशरीर को हैल्दी रखने के लिए विटामिन्स बहुत जरूरी है और नसों के लिए विटामिन बी 12 भी काफी हद तक जिम्मेदार माना जाता है।

अगर शरीर में काफी लंबे समय तक विटामिन बी 12 की कमी हो तो लक्वा का खतरा कई गुना बढ़ जाता है क्योंकि खून में मौजूद  लाल रक्त कोशिकाएं ( आरबीसी), नसें या तंत्रिका तंत्र और दिमाग की काफी हद तक निर्भरता विटामिन बी 12 पर रहती है हालांकि अधिकांश भारतीय लोगों में विटामिन बी 12 की कमी होती है।विटामिन बी 12 की कमी से क्यों होता है लकवा?वेबएमडी की खबर के मुताबिक,  विटामिन बी 12 की कमी का सबसे ज्यादा असर खून पर देखने को मिलता है।

इसकी कमी के चलते लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बनती जिसे मेगाब्लास्टिक एनीमिया कहते है।इन लाल कोशिकाओं में ही हीमोग्लोबिन मौजूद होता है जो फेफड़ों से ऑक्सीजन को पकड़कर शरीर के प्रत्येक अंग तक पहुंचाता है। जब ये ऑक्सीजन की कमी होती है तो नसों में भी ऑक्सीजन नहीं पहुंचता और नसें कमजोर होने लगती है।

 विटामिन बी-12 शरीर में मेलीन बनाता है। मेलीन नसों में वायर को लेयर प्रदान करता है यानी कि एक तरह से यह इलेक्ट्रिक तार को बनाने में मदद करता है जब इसकी कमी होती है तो नर्व फाइबर डैमेज होने लगता है। इससे मसल्स कमजोर होने लगते हैं और शरीर पर बैलेंस कम होने लगता है, चलने में दिक्कत होने लगती है, यौन क्षमता प्रभावित होती है। पेट संबंधी दिक्कतें होने लगती है। इन सबके अलावा यदि विटामिन बी 12 की कमी को ज्यादा दिनों तक इलाज नहीं कराया गया तो लकवा हो सकता है।

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