4 साल पहले भी इसी जगह हुआ था हादसा, कंडम बस और खराब सड़क बनी जानलेवा
बिट्टू सिहं राजपूत ,सूरजपुर। शनिवार देर रात करीब 10:30 बजे एक बड़ा हादसा उस वक्त हो गया जब एसईसीएल (SECL) कर्मचारियों से भरी यात्री बस खड़गवां थाना क्षेत्र के सोनगरा-खड़गवां मार्ग पर स्थित ग्राम पंचायत सुखदेवपुर के पास सुखाड पुलिया से सीधे नदी में जा गिरी। हादसे में बस चालक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि बस में सवार लगभग 16 कर्मचारी घायल हो गए।

घटना की सूचना मिलते ही खड़गवां पुलिस और रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची। सभी घायलों को प्राथमिक उपचार के लिए तत्काल एसईसीएल भटगांव अस्पताल लाया गया, जहां से गंभीर घायलों को अंबिकापुर के निजी अस्पताल में रेफर कर दिया गया।
पुलिया के गड्ढे में फंसी बस, ड्राइवर की मौके पर मौत
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बस में सवार सभी कर्मचारी भटगांव और जरही से महान-3 कोयला खदान (जगरन्नाथपुर) के लिए जा रहे थे। इस दौरान सुखाड पुलिया पर सड़क में बने गहरे गड्ढे की वजह से चालक बस पर नियंत्रण नहीं रख पाया और बस अनियंत्रित होकर नदी में जा गिरी। हादसे में चालक बस के नीचे दब गया, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई।

अस्पताल में मचा हड़कंप, कलेक्टर-एसपी ने लिया जायजा
हादसे की खबर से जरही और भटगांव कॉलोनी में हड़कंप मच गया। अस्पताल में परिजनों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। सूचना पर सूरजपुर कलेक्टर और एसपी भटगांव अस्पताल पहुंचे और घायलों का हालचाल लिया। अधिकारियों ने इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरतने के निर्देश दिए।
कंडम बस को क्यों मिला एक्सटेंशन? जिम्मेदारों की मिलीभगत का आरोप

सूत्रों के अनुसार, हादसा जिस बस से हुआ वह वर्ष 2020 मॉडल की थी, जिसे तकनीकी रूप से “कंडम” घोषित किया जा चुका था। एसईसीएल में वाहन संचालन के लिए हर तीन वर्ष में नई गाड़ी की निविदा होती है, लेकिन ठेकेदारों और जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से पुरानी गाड़ियां ही चल रही हैं। इस एक्सटेंशन के बदले अधिकारियों को कथित तौर पर कमीशन दिया जाता है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि अधिकारी एयरकंडीशंड कमरों में बैठकर मजदूरों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।
चार साल पहले भी हो चुका है हादसा, नहीं सीखा सबक
गौरतलब है कि इसी स्थान पर चार साल पहले भी कर्मचारियों से भरी एक बस हादसे का शिकार हुई थी। तब भी कारण यही – खस्ताहाल पुलिया और कंडम बस – सामने आया था। इसके बावजूद महाप्रबंधक मुख्यालय के अधिकारियों ने कोई सबक नहीं लिया और अब फिर मजदूरों की जान जोखिम में पड़ गई।
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी सड़क, करोड़ों खर्च फिर भी गड्ढे
जानकारी के अनुसार, वर्ष 2021 में इसी मार्ग पर बस दुर्घटना के बाद करोड़ों रुपये की लागत से सड़क निर्माण के लिए टेंडर हुआ था, लेकिन उस समय भी निर्माण कार्य में भारी भ्रष्टाचार हुआ। आज भी पुलिया के पास गड्ढा जस का तस बना हुआ है, जो हादसों को दावत दे रहा है।
अब सवाल ये है कि आखिर कब तक मजदूरों की जान को यूं ही नजरअंदाज किया जाएगा? क्या जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई होगी या फिर एक और हादसे के बाद फिर सिर्फ मुआवजा और बयानबाजी होगी?