बिट्टू सिहं राजपूत ,सूरजपुर। जिले में इन दिनों यूकेलिप्टस और सेमर के पेड़ों की अवैध कटाई और तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है। उत्तर प्रदेश से आए तस्करों का एक संगठित गिरोह न सिर्फ जंगलों में पेड़ों की कटाई कर रहा है, बल्कि ट्रैक्टरों के जरिये दिनदहाड़े लकड़ियों की ढुलाई भी की जा रही है।

स्थानीय किसानों का आरोप है कि उन्हें महंगी बिकने वाली लकड़ियों के बदले बेहद कम दाम मिल रहे हैं, जबकि तस्कर और उनके सहयोगी मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि यह सब कुछ प्रशासन की आंखों के सामने हो रहा है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है।
सूत्रों के अनुसार, इस तस्करी में सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं का संरक्षण भी तस्करों को प्राप्त है। यही वजह है कि तस्कर बेखौफ होकर अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि सूरजपुर जिला मुख्यालय में लकड़ियों को इकट्ठा करने के लिए बाकायदा ‘डिपो’ भी बनाया गया है, जहां पूरे जिले से लाकर लकड़ी डंप की जाती है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तस्करों से कोई सवाल किया जाता है, तो वे खुलेआम दावा करते हैं कि उन्हें भाजपा के बड़े नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। कभी-कभार जब तस्करों को रोका भी जाता है, तो वे प्रभावशाली नेताओं की पार्टनरशिप का हवाला देकर बच निकलते हैं।
गौरतलब है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में रेत तस्करी को लेकर भाजपा ने जमकर आंदोलन किए थे, लेकिन अब जब भाजपा सत्ता में है, तो कांग्रेस इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है।
कुल मिलाकर यह पूरा मामला न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि तस्करी में राजनीतिक संरक्षण की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।
अगले अंक में – कौन हैं सूरजपुर के लकड़ी तस्करी रैकेट के असली सूत्रधार? पूरा खुलासा जल्द…