हाथोर समाचार: एक परिचय

“हाथोर समाचार” सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, एक जनपक्षीय आवाज़ है — जो छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले की आदिवासी बहुल धरती से निकलती है। इसका नाम सुनते ही जिज्ञासा जागती है — ‘हाथोर’ क्या है? कुछ लोग इसे मिस्र की देवी ‘हाथोर’ से जोड़ते हैं, जो प्रेम, संगीत और मातृत्व की देवी मानी जाती हैं। वहीं, स्थानीय संदर्भ में यह नाम प्रकृति, स्त्री और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक बनकर उभरता है।

हमारा उद्देश्य स्पष्ट है: आदिवासी समाज की अनकही बातों को दुनिया के सामने लाना। “हाथोर समाचार” गाँव-गाँव की सच्चाई, जंगल-जमीन के सवाल, लोक परंपरा और जीवन संघर्ष की कहानियों को दस्तावेज़ करता है — उन्हीं की ज़ुबान में, जिनकी ज़मीन पर यह कहानी लिखी जा रही है।

यह समाचार पत्र पत्रकारिता के साथ-साथ संस्कृति, स्मृति और प्रतिरोध का पुल भी है। हम न किसी सत्ता से संचालित होते हैं, न किसी बाज़ार से — हमारा आधार है जनता, जमीन और न्याय।

“हाथोर समाचार” — वहाँ से बोलता है, जहाँ अक्सर सब चुप हो जाते हैं।

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