“मनरेगा कार्य की स्वीकृति वन भूमि में, विभागीय रोक के बाद दूसरे स्थान पर कराया जा रहा है कार्य “

मनीष गुप्ता ,सूरजपुर/प्रतापपुर। जिले के ग्राम जज़ावल में मनरेगा के तहत स्वीकृत गारगी से गडही मार्ग तक के सड़क निर्माण कार्य में गंभीर अनियमितता सामने आई है। इस कार्य में वन भूमि पर निर्माण किया गया, जो स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन है। मामले के उजागर होने के बाद वन विभाग के हस्तक्षेप से कार्य को दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया।

19.75 लाख रुपये का बजट

मनरेगा योजना के अंतर्गत इस कार्य के लिए 19.75 लाख रुपये का बजट स्वीकृत हुआ था। इसमें से 14.63 लाख रुपये मजदूरी, 4.32 लाख रुपये सामग्री और 1.15 लाख रुपये अन्य खर्चों के लिए निर्धारित थे। परियोजना को मार्च 2023 में स्वीकृति मिली थी, लेकिन स्पष्ट निर्देश थे कि कार्य वन भूमि पर नहीं होना चाहिए।

वन विभाग का हस्तक्षेप

निर्देशों के बावजूद, निर्माण कार्य वन भूमि पर आरंभ कर दिया गया। वन विभाग द्वारा आपत्ति दर्ज कराने और कार्य रुकवाने के बाद इसे बिना अनुमति के अन्य स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया।

स्थानीय ग्रामीणों का आरोप

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि यह कार्य नियमों को ताक पर रखकर राजनीतिक लाभ के लिए किया गया। उनका कहना है कि जहां कार्य किया गया, वहां पुलिया निर्माण की आवश्यकता नहीं थी। साथ ही, मनरेगा का उद्देश्य ग्रामीणों को रोजगार प्रदान करना है, लेकिन इस परियोजना में मशीनों का बड़े पैमाने पर उपयोग हुआ।

अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

कार्य में शामिल अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं। मनरेगा के कार्यक्रम अधिकारी और तकनीकी सहायक की लापरवाही के कारण कार्य में अनियमितता हुई। योजनाओं के क्रियान्वयन की सही तरीके से निगरानी नहीं की गई, जिससे भ्रष्टाचार के आरोप और मजबूत हुए।

जांच और कार्रवाई की मांग

ग्रामीणों और समाजसेवियों ने मामले की जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यदि कार्य वन भूमि पर नहीं होना था, तो यह कैसे स्वीकृत और शुरू हुआ?

वहीं इस पूरे मामले में जनपद पंचायत सीईओ राधेश्याम मिर्झा ने कहा कि वे फिलहाल अन्य कार्यों में व्यस्त हैं और मामले की जांच के बाद ही कुछ कह पाएंगे।

वन विभाग के अधिकारी अच्छेलाल कार पेंटर ने बताया कि कार्य रोकने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन वर्तमान में हो रहे निर्माण की जानकारी उन्हें नहीं है।

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