मनीष गुप्ता , सूरजपुर/प्रतापपुर।ब्लाक ब्लाक के अंतर्गत कई शासकीय कार्यालयों में ऐसे अधिकारी कर्मचारी कार्यरत हैं, जो वर्षों से अपनी जगह पर स्थिर हैं। इन कार्यालयों में अनुविभागीय कार्यालय, तहसील कार्यालय, जनपद कार्यालय, कृषि विभाग, मनरेगा विभाग बी ई ओ सहित कई अन्य महत्वपूर्ण विभाग शामिल हैं। इन कर्मियों ने अपनी कार्यस्थल पर स्थायी रूप से जड़ें जमा ली हैं, और सत्ता में आए शासन-प्रशासन का इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
इन कर्मचारियों का लगातार एक ही स्थान पर बने रहना शासकीय कार्यों की गति और प्रशासनिक निर्णयों के क्रियान्वयन में रुकावट डाल रहा है। इसके अलावा, यह स्थिति भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के लिए एक संवेदनशील वातावरण उत्पन्न कर रही है। जहां ये कर्मचारी अपनी भूमिका में चापलूसी और पक्षपाती रवैया अपनाते हुए अधिकारियों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखते हैं, वहीं वे किसी भी तरह के स्थानांतरण को रुकवा कर अपने पदों पर बने रहते हैं, जिससे शासकीय कार्यों की निष्पक्षता और त्वरितता पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
अगर हम चुनावी दृष्टिकोण से देखें, तो नगरी निकाय चुनाव और ग्राम पंचायत चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता लागू होने की संभावना है, जिससे शासकीय कर्मचारियों पर निष्पक्षता बनाए रखने की जिम्मेदारी आ जाएगी। ऐसे में जब कर्मचारियों की निष्ठा और कार्यशैली व्यक्तिगत लाभ और राजनीतिक दबावों से प्रभावित हो रही हो, तो आचार संहिता के पालन में गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है। यह स्थिति न केवल चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करती है, बल्कि शासकीय कार्यों के निष्पादन में भी देरी और अव्यवस्था उत्पन्न करती है।
आचार संहिता के दौरान प्रशासन की जिम्मेदारी होती है कि वह शासकीय कार्यों में पारदर्शिता बनाए रखे, ताकि निर्वाचन प्रक्रिया निष्पक्ष और प्रभावी रूप से संचालित हो सके। लेकिन जब कर्मचारी और अधिकारी अपनी राजनीतिक और व्यक्तिगत निष्ठाओं के तहत कार्य करते हैं, तो यह स्थिति गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या इन जमे हुए कर्मचारियों की कार्यशैली और अधिकारियों के साथ गठजोड़ चुनावी प्रक्रिया और शासकीय कार्यों की सफलता को सुनिश्चित कर पाएंगे?
इस संदर्भ में यह आवश्यक है कि शासन और प्रशासन इस मुद्दे का समाधान ढूंढ़े और सुनिश्चित करे कि शासकीय कार्यों में पारदर्शिता, निष्पक्षता और समयबद्धता बनी रहे। कर्मचारियों का स्थानांतरण, कार्यक्षेत्र का पुनर्निर्धारण और उनकी कार्यप्रणाली में सुधार की दिशा में प्रभावी कदम उठाए जाएं, ताकि शासन की नीतियों का सही ढंग से क्रियान्वयन हो सके और चुनावी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की विघ्नबाधा उत्पन्न न हो।