किशोर न्याय और लैंगिक अपराधों से बाल संरक्षण विषय पर रायपुर में कार्यशाला आयोजित
हाथोर समाचार ,रायपुर। रायपुर के न्यू सर्किट हाउस में आज महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े के मुख्य आतिथ्य में किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 तथा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के प्रति जागरूकता बढ़ाने हेतु एक दिवसीय कार्यशाला-सह-परिचर्चा का आयोजन किया गया।

मुख्य अतिथि श्रीमती राजवाड़े ने कहा कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा छत्तीसगढ़ सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि बाल संरक्षण से जुड़े हर मामले में त्वरित और संवेदनशील कार्रवाई की आवश्यकता है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि समन्वय के साथ लंबित प्रकरणों का शीघ्र निराकरण करें और बाल सुधार गृहों तथा अन्य संस्थानों में रह रहे बच्चों के पुनर्वास को प्राथमिकता दें। इस अवसर पर उन्होंने सभी उपस्थितजनों को बाल विवाह रोकने की शपथ भी दिलाई और बताया कि छत्तीसगढ़ में बाल विवाह की घटनाओं में लगातार गिरावट आ रही है, जिसे मिलकर शून्य तक लाना है।
कार्यशाला की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा ने की। डॉ. शर्मा ने कहा कि प्रत्येक बच्चे को सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण मिलना चाहिए तथा हम सभी का दायित्व है कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करें।
तकनीकी सत्रों में प्रशिक्षक विपीन ठाकुर और श्री शरवत हुसैन नकवी ने किशोर न्याय एवं बाल संरक्षण कानूनों के व्यावहारिक पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने प्रतिभागियों के सवालों के जवाब भी दिए। महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव शम्मी आबिदी तथा संयुक्त संचालक नंदलाल चौधरी ने विभागीय योजनाओं और बाल संरक्षण संस्थाओं के कार्यों पर प्रस्तुति दी।
कार्यशाला में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष, सदस्य, किशोर न्याय बोर्ड के सामाजिक कार्यकर्ता, विभागीय अधिकारी एवं विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों के लगभग 170 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। चर्चा में विधि से संघर्षरत बच्चों के पुनर्वास, संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की देखरेख तथा लैंगिक अपराधों की रोकथाम जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार विमर्श हुआ।
कार्यशाला के अंत में प्रतिभागियों ने बाल संरक्षण एवं बाल अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभाने का संकल्प लिया।