प्रतापपुर जनपद पंचायत में मनरेगा अधिकारी के ट्रांसफर पर उठे सवाल , राजनीतिक रसूख के चलते पदस्थापना पर विवाद

मनीष गुप्ता ,प्रतापपुर। प्रतापपुर जनपद पंचायत में मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी के रूप में पिछले छह वर्षों से कार्यरत अधिकारी का तीन साल पहले प्रेमनगर ट्रांसफर किया गया था, लेकिन अब  अपने राजनीतिक रसूख का उपयोग करते हुए पुनः प्रतापपुर में पदस्थापना करवा ली है। इस कदम को लेकर प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यह अधिकारी प्रतापपुर में मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी के रूप में कार्यरत है और तीन साल पहले उनका ट्रांसफर प्रेमनगर किया गया था। हालांकि, उन्होंने कुछ राजनीतिक संपर्कों के माध्यम से अपनी पदस्थापना पुनः प्रतापपुर में करवा ली, जिससे न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए हैं, बल्कि यह भी संदेह उत्पन्न हो रहा है कि क्या यह निर्णय आगामी चुनावों के मद्देनजर लिया गया है।

स्थानीय सूत्रों का कहना है कि इस अधिकारी का अधिकांश समय कार्यालय से बाहर ही बीतता है और वे न तो अपने कार्यक्षेत्र में नियमित रूप से जाते हैं, न ही कर्तव्य स्थल पर निवास करते हैं, जिससे उनकी कार्यकुशलता पर प्रश्नचिह्न लग रहा है। वहीं, राज्य सरकार के नियमों के अनुसार किसी अधिकारी को एक ही स्थान पर तीन साल से अधिक समय तक पदस्थ नहीं किया जा सकता, लेकिन इस अधिकारी ने अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर यह नियम दरकिनार किया।

यह मामला प्रशासनिक पारदर्शिता और तंत्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस तरह के प्रशासनिक फैसले केवल सरकारी व्यवस्था को कमजोर नहीं करते, बल्कि चुनावी प्रक्रिया पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि चुनाव आयोग और राज्य प्रशासन को इस मामले की जांच करनी चाहिए, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि प्रशासनिक फैसले पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी हैं, और किसी भी राजनीतिक प्रभाव से मुक्त हैं। इस संबंध में जिला सीईओ से फोन में नहीं लगने के कारण चर्चा नहीं हो पाया

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