सूरजपुर के इन ग्राम पंचायतों में विस्थापित परिवारों की भूमि रिकॉर्ड में गंभीर त्रुटियां, पुनः सर्वेक्षण के आदेश लंबित, ग्रामीणों में आक्रोश

हाथोर समाचार,सूरजपुर।
लटोरी तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत संजयनगर, रविन्द्रनगर और मदनपुर में पुनर्वासित परिवारों की जमीन से जुड़ी गंभीर त्रुटियों के चलते पुनः सर्वेक्षण की आवश्यकता वर्षों से बनी हुई है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। जिला प्रशासन द्वारा विशेषज्ञ टीम और आधुनिक सर्वेक्षण उपकरण उपलब्ध कराने तीन बार राज्य शासन को पत्र भेजे गए, परंतु आज तक टीम का गठन नहीं हो पाया है। इससे प्रभावित ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है।

कलेक्टर सूरजपुर द्वारा 29 नवम्बर 2024 को राज्य शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग को तीसरी बार स्मरण पत्र भेजा गया था। इसमें विशेषज्ञ टीम और उपकरण शीघ्र उपलब्ध कराने की मांग की गई थी, परंतु शासन स्तर से अब तक कोई पहल नहीं हुई।

रिकॉर्ड में व्यापक गड़बड़ी

अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सूरजपुर के अनुसार, तीनों ग्राम पंचायतों में विस्थापित परिवारों की भूमि से संबंधित रिकॉर्ड में गंभीर गड़बड़ियां सामने आई हैं। कई जगह जमीन गलत नाम पर दर्ज है, तो कुछ स्थानों पर सीमा निर्धारण ही स्पष्ट नहीं है। इसके अलावा पुनर्वासित परिवारों को आवंटित जमीन की वास्तविकता का कोई प्रमाणिक सत्यापन नहीं हुआ है, जिससे पात्र हितग्राही सरकारी योजनाओं और ऋण योजनाओं से वंचित हो रहे हैं।

उपकरणों और स्टाफ की भारी कमी

सूत्रों के मुताबिक, सूरजपुर जिले में प्रशिक्षित सर्वेक्षक और डिजिटल थिओडोलाइट, जीपीएस डिवाइस, मैपिंग सॉफ्टवेयर जैसे आधुनिक सर्वे उपकरणों की भारी कमी है। शासन को इस समस्या से अवगत कराए जाने के बावजूद संसाधन नहीं मिल पाए हैं।

प्रशासनिक सुस्ती पर उठे सवाल

तीनों गांवों के लोगों ने प्रशासनिक निष्क्रियता पर नाराजगी जाहिर की है। ग्रामीणों का कहना है कि पुनर्वास के नाम पर विवादित भूमि पर बसाया गया, जहां अब तक स्पष्ट अधिकार नहीं मिल पाया है। भाजपा नेता संदीप सरकार ने भी शासन-प्रशासन से लगातार इस विषय में कार्रवाई की मांग की, परन्तु अब तक सिर्फ कोरा आश्वासन ही मिला है।

संजयनगर में त्रुटियां सामने आने के बावजूद आदेश नहीं

बताया गया कि संजयनगर पंचायत में हाल ही में जिला प्रशासन के निर्देश पर किए गए आंतरिक सर्वेक्षण में 22 लोगों के भूमि रिकॉर्ड में गड़बड़ियां मिली थीं। त्रुटियों का निराकरण कर रिपोर्ट भेजी जा चुकी है, लेकिन आदेश न जारी होने से कार्यवाही रुकी हुई है।

ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी

क्षेत्रवासियों का कहना है कि यदि शीघ्र सर्वेक्षण कार्य शुरू नहीं हुआ, तो वे जन आंदोलन करेंगे। उनका कहना है कि यह सिर्फ जमीन का मामला नहीं, बल्कि आजीविका, सामाजिक पहचान और भविष्य की पीढ़ियों के अधिकारों का सवाल है।

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