बिट्टू सिंह राजपूत,रायपुर। ग्रामीण भारत के युवाओं में अपार संभावनाएं हैं, जिन्हें सही मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और अवसर मिलने पर नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकता है। “प्रोजेक्ट उन्नति” जैसे कार्यक्रम इन्हीं संभावनाओं को साकार करने का सशक्त माध्यम बन रहे हैं। इसका प्रमाण है छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के छोटे से गांव हथनीकला के दीपक सिंह, जिन्होंने इस योजना के जरिये अपने जीवन को नई दिशा दी है।
पहले दीपक खेती और मनरेगा के अस्थायी रोजगार पर निर्भर थे। सीमित आय में परिवार का भरण-पोषण करना बेहद कठिन था। लेकिन उन्होंने हालात से हार नहीं मानी। जब उन्हें प्रोजेक्ट उन्नति के तहत ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान, बिलासपुर में प्रशिक्षण का अवसर मिला, तो उन्होंने इसे जीवन का मोड़ बना लिया।
दस दिनों के इस प्रशिक्षण में दीपक ने वैज्ञानिक तरीके से मुर्गीपालन की तकनीक सीखी। प्रशिक्षण के बाद उन्होंने 10 मुर्गियों के साथ व्यवसाय की शुरुआत की। पहली बिक्री से जो मुनाफा हुआ, उसे उन्होंने फिर से निवेश किया। धीरे-धीरे उनका कारोबार बढ़ता गया। आज दीपक के पास 450 मुर्गियाँ हैं और उन्होंने 1 लाख रुपये की लागत से खुद का पोल्ट्री शेड भी तैयार कर लिया है।
वर्तमान में दीपक सालाना लगभग 1.20 लाख रुपये की आय अर्जित कर रहे हैं। उनकी यह सफलता केवल आर्थिक नहीं, बल्कि मानसिक सशक्तिकरण का भी प्रतीक है। आत्मविश्वास से भरे दीपक अब गांव के अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए हैं।
दीपक की सफलता का असर उनके गांव पर भी पड़ा है। पहले हथनीकला के लोग मुर्गी खरीदने के लिए शहर जाते थे, अब गांव में ही यह सुविधा उपलब्ध हो गई है। इससे स्थानीय व्यापार को बढ़ावा मिल रहा है और स्वरोजगार की भावना भी मजबूत हो रही है।
दीपक की कहानी इस बात का प्रमाण है कि “प्रोजेक्ट उन्नति” केवल एक योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण युवाओं के सपनों को साकार करने का एक मजबूत आधार है।