दैनिक हाथोर समाचार, अंबिकापुर।प्रदेश सरकार जहां शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने की बात करती है, वहीं जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल उलट नजर आ रही है। बलरामपुर और सूरजपुर जिले को जोड़ने वाली ग्राम पंचायत खोखनिया की सड़क जर्जर हालत में है। कीचड़ और गड्ढों से भरे इस रास्ते ने ग्रामीणों और विद्यालय पहुंचने वाले शिक्षकों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

सड़क की दुर्दशा से परेशान होकर गुरुवार को शिक्षकों ने स्वयं श्रमदान कर गड्ढों को भरने और रास्ता सुधारने की पहल की। उनका कहना है कि जिम्मेदार विभागों की लापरवाही के कारण मजबूरी में उन्हें ही यह कार्य करना पड़ रहा है। शिक्षकों का दर्द साफ झलकता है कि यदि वे समय पर विद्यालय नहीं पहुंच पाएंगे तो बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे देंगे।
ग्रामीणों ने भी बताया कि लंबे समय से सड़क मरम्मत की मांग उठाई जा रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। खराब सड़क न केवल शिक्षा व्यवस्था के लिए बाधक है, बल्कि दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ा रही है। बरसात में गड्ढों में पानी भरने से रास्ता दलदल में बदल जाता है और बच्चों व ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर गुजरना पड़ता है।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द सड़क सुधार नहीं किया गया तो वे बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। सवाल यह है कि जब शिक्षक ही विद्यालय पहुंचने की लड़ाई लड़ रहे हैं, तो सरकार की शिक्षा व्यवस्था और विकास के दावे कैसे सार्थक होंगे?