बिट्टू सिंह राजपूत, सूरजपुर ।छत्तीसगढ़ में पंचायत सचिव अपनी एक सूत्रीय मांग—शासकीयकरण—को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। इस हड़ताल का असर राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक रूप से देखा जा रहा है, जहां सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों पर सीधा असर पड़ा है।
पंचायत सचिव संघ के जिलाध्यक्ष इंदरपाल तिवारी के बताया की, भाजपा ने अपने विधानसभा चुनाव घोषणा पत्र में पंचायत सचिवों के शासकीयकरण का वादा किया था और इसे “मोदी की गारंटी” का हिस्सा बताया था। लेकिन डेढ़ वर्ष बीतने के बावजूद सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिससे नाराज सचिवों ने आंदोलन का रास्ता चुना है।
ग्रामीण क्षेत्रों में इस हड़ताल का असर साफ दिखाई दे रहा है। कई पंचायतों में पीएम आवास योजना अटक गया है, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं किए जा रहे हैं, और अन्य आवश्यक कार्य भी ठप पड़े हैं। इससे आम जनता को काफी परेशानी हो रही है।
पंचायत सचिवों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे सचिवों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। अब देखना यह होगा कि सरकार कब तक इस मुद्दे का समाधान निकालती है और क्या पंचायत सचिवों की मांग पूरी होती है या नहीं।