तहसीलदार-नायब तहसीलदारों की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी, प्रशासनिक कामकाज ठप ,संघ ने मांगे नहीं माने जाने पर दी आंदोलन तेज करने की चेतावनी

हाथोर समाचार ,अम्बिकापुर।छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के बैनर तले सरगुजा संभाग के तहसीलदार और नायब तहसीलदारों की 17 सूत्रीय मांगों को लेकर तीन दिवसीय हड़ताल मंगलवार को भी जारी रही। दूसरे दिन अम्बिकापुर के कला केंद्र मैदान में संभाग स्तरीय धरना-प्रदर्शन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में अधिकारी शामिल हुए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

हड़ताल के चलते जिले और संभाग में राजस्व, भूमि विवाद, लोक सेवा गारंटी, किसान पंजीयन, चुनाव कार्य, जनगणना और कानून व्यवस्था जैसे अहम कार्य पूरी तरह से ठप हो गए हैं। तहसील कार्यालयों में ताले लटक रहे हैं, जिससे आमजन को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

संघ पदाधिकारियों ने बताया कि पूर्व में सरकार ने उनकी मांगों पर सहमति जताई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। उन्होंने कहा कि बुधवार 30 जुलाई को रायपुर में प्रांतीय स्तर पर धरना होगा। यदि इसके बाद भी सरकार उदासीन रही, तो अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की जाएगी।

प्रमुख मांगों में ये शामिल

संघ ने अपनी मांगों में तहसीलों में स्वीकृत पदों पर पदस्थापना, तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर पद पर पदोन्नति, नायब तहसीलदार को राजपत्रित अधिकारी का दर्जा, ग्रेड पे में सुधार, शासकीय वाहन की सुविधा, निलंबित अधिकारियों की बहाली, न्यायालयीन आदेशों पर एफआईआर से छूट, राजस्व न्यायालयों में सुरक्षा, सड़क दुर्घटना में मुआवजा, संघ की मान्यता और विशेषज्ञ समिति के गठन की मांगें प्रमुखता से रखी हैं।

ग्रामीणों की परेशानी बढ़ी

तहसील कार्यालयों के बंद रहने से ग्रामीण क्षेत्रों में किसान, वृद्ध, महिलाएं और अन्य आमजन अपने कार्यों के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। किसान पंजीयन, जाति-निवास प्रमाण पत्र, नामांतरण जैसे कार्य रुके हुए हैं, जिससे असंतोष की स्थिति बन रही है।

संघ की दो टूक चेतावनी

संघ पदाधिकारियों ने कहा कि उनकी मांगें पूरी तरह जायज हैं और लंबे समय से लंबित हैं। यदि शासन ने जल्द वार्ता कर कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि व्यवस्थागत सुधार और अधिकारों की लड़ाई है।

शासन से पहल की उम्मीद

जैसे-जैसे हड़ताल का असर प्रशासनिक व्यवस्था पर गहराता जा रहा है, वैसे ही शासन से हस्तक्षेप की उम्मीद भी बढ़ गई है। आम जनता की समस्याओं को देखते हुए सरकार को जल्द निर्णय लेना पड़ सकता है।

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