गुवाहाटी। अम्बुबाची मेला असम के गुवाहाटी में कामाख्या मंदिर में आयोजित होने वाला एक प्रमुख वार्षिक उत्सव है. नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित कामाख्या मंदिर, विश्व प्रसिद्ध अम्बुबाची महायोग के नजदीक आने के साथ ही एक स्पष्ट ऊर्जा से जीवंत हो उठा है.
अम्बुबाची महायोग में बस एक दिन शेष रह जाने के साथ ही, मां कामाख्या मंदिर के पवित्र परिसर में भारत और यहां तक कि विदेशों से भी साधुओं, संन्यासियों और भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है. ऐसे में यहां एक जीवंत और आध्यात्मिक माहौल बनता जा रहा है.
पर्यटन विभाग, असम सरकार, जिला प्रशासन और कामाख्या डोलोई समाज (मंदिर प्राधिकरण) ने इस आयोजन के लिए व्यापक तैयारियां की हैं. देश के अलग-अलग भागों से आने वाले बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के लिए पांडु बंदरगाह (कामाख्या रेलवे स्टेशन का एक बंदरगाह) और कामाख्या रेलवे स्टेशन पर शिविर स्थापित किए गए हैं. यहां से पैदल यात्रा लिए सभी सुविधाओं की तैयारियां की गई हैं.
मंदिर बंद होने और खुलने का समय
कामाख्या देवालय के सरू दलोई (कनिष्ठ पुजारी) हिमाद्री सरमा ने बताया कि, 22 जून को कामाख्या मंदिर में अम्बुबाची महायोग शुरू होगा, 22 जून को दोपहर 2:56 बजे ‘प्रवृत्ति’ (धरती माता के मासिक धर्म की अवधि) की शुरुआत के साथ मां कामाख्या मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे. कामाख्या मंदिर के मुख्य द्वार 23 से 25 जून तक तीन दिन के लिए बंद रहेंगे.
सरमा ने कहा, मां कामाख्या मंदिर के दरवाजे 26 जून को सुबह ‘निवृत्ति’ (मेले का समापन) और देवी के पारंपरिक स्नान और दैनिक अनुष्ठानों के बाद भक्तों के लिए फिर से खुल जाएंगे.
श्रद्धालुओं के लिए सख्त नियम और सुरक्षा उपाय
इस साल अंबुबाची मेले में शांतिपूर्ण और व्यवस्थित वातावरण सुनिश्चित करने के लिए कड़े नियम होंगे. अंबुबाची मेला अवधि के दौरान श्रद्धालुओं के लिए नीलाचल पहाड़ी पर प्रवेश प्रतिदिन सुबह 5 बजे से शाम 6 बजे तक ही सीमित रहेगा. शाम 6 बजे के बाद प्रवेश की अनुमति नहीं होगी.
वहीं, स्वच्छ वातावरण बनाए रखने और भीड़ को रोकने के लिए, नीलाचल पहाड़ी पर श्रद्धालुओं के लिए आवास या भोजन वितरण की कोई व्यवस्था नहीं होगी. मंदिर प्रशासन ने शक्ति की पूजा के लिए शांतिपूर्ण माहौल सुनिश्चित करने पर जोर दिया है. मेले के दौरान 21 जून से 30 जून तक मंदिर में वीआईपी और वीवीआईपी प्रवेश सस्पेंड रहेगा. खास तौर पर, 26 और 27 जून को जब मंदिर आम दर्शन के लिए खुलेगा. ऐसे में वीआईपी या वीवीआईपी पास उपलब्ध नहीं होंगे. 28 जून से नियमित दैनिक दर्शन फिर से शुरू होंगे.
इन दिनों मंदिर परिसर में किसी भी संगीत वाद्ययंत्र का प्रयोग या शोरगुल के साथ जुलूस निकालने की सख्त मनाही रहेगी. खासकर अंबुबाची के दौरान 51 शक्तिपीठों में से एक मां कामाख्या मंदिर का विशेष महत्व है. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां सती की योनि (गर्भ) गिरी थी. यह अवधि धरती माता के वार्षिक मासिक धर्म चक्र से जुड़ी है, जो प्रजनन क्षमता, रचनात्मकता और नारीत्व की पवित्रता का प्रतीक है.
नागा साधुओं ने साझा किए अपने विचार
अंबुबाची के दौरान विशेष आकर्षण का केंद्र रहे नागा साधुओं ने नीलाचल पहाड़ी पर पहुंचकर अखाड़ों (शिविरों) में बसना शुरू कर दिया है. साथ एक विशेष साक्षात्कार में कई नागा साधुओं ने अपने विचार साझा किए.
नागा साधु चॉकलेट बाबा ने क्या कहा
प्रयागराज जूना अखाड़े के राष्ट्रीय सचिव और चॉकलेट बाबा के नाम से मशहूर रंजिदानंद गिरि नागा साधु ने कहा कि, वे 35 साल से अंबुबाची के दौरान यहां आते हैं. हर साल यहां नया रूप देखने को मिलता है. उन्होंने कहा कि, अंबुबाची मेले के लिए सरकार ने बेहतरीन व्यवस्था की है. इस बार हजारों साधु आएंगे.
उन्होंने कहा कि, अंबुबाची के चार दिनों तक हम विश्व शांति के लिए महायज्ञ करेंगे. साथ ही नागा साधु मौन व्रत धारण कर माता की भक्ति करेंगे. उन्होंने सनातन धर्म का विरोध करने वालों के खिलाफ चल रहे प्रयासों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, सनातन धर्म का विरोध करने वाले राक्षसों का वंश अभी भी मौजूद है. उन्होंने कहा कि, ऐसे राक्षसों का विनाश निश्चित है. उन्होंने कहा कि, सनातनियों और हिंदू अब जाग चुके हैं.
धनपति महंत नित्यानंद गिरि बोले, आंतरिक शांति के लिए योग अभ्यास जरूरी
एक अन्य नागा साधु, धनपति महंत नित्यानंद गिरि ने आध्यात्मिक पहलू पर जोर देते हुए कहा कि, आंतरिक शांति के लिए योग का अभ्यास किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि, वह सनातन धर्म की रक्षा के लिए शक्ति प्राप्त करने के लिए, शक्ति की पूजा करने के लिए मां के पास आए हैं. भक्ति के साथ, यहां आए साधु इन चार दिनों के लिए मां के चरणों में तपस्या और जप करेंगे. उन्होंने कहा, हम नागा बाबा सात्विक पूजा (शुद्ध पूजा) करते हैं.
नागा साधु नेता ने पहलगाम घटना के बाद लामबंदी की चेतावनी दी
नागा साधु धनपति महंत नित्यानंद गिरि ने पहलगाम घटना के बाद एक कड़ा बयान जारी किया है, जिसमें हत्याओं की निंदा की गई है. साथ ही साधुओं के बड़े पैमाने पर लामबंदी की संभावना का सुझाव दिया गया है.
गिरि ने कहा कि पहलगाम में पीड़ितों को उनकी हिंदू या मुस्लिम पहचान के आधार पर मारा गया था. उन्होंने स्पष्ट किया कि साधु आमतौर पर बाला (कंगन) और माला (माला) रखते हैं, लेकिन वे ज़रूरत पड़ने पर हथियार रखने के लिए भी तैयार रहते हैं.
उन्होंने मां कामाख्या से सृष्टि की रक्षा के लिए प्रार्थना की, साथ ही पड़ोसी देशों के प्रति चिंता भी व्यक्त की. गिरि ने कहा, बांग्लादेश, पाकिस्तान जैसे देशों ने हमारी मातृभूमि भारत पर बुरी नजर डाली है.
गिरी ने कड़ी चेतावनी देते हुए घोषणा की कि साधु और संन्यासी चुप नहीं बैठेंगे. उन्होंने आगे कहा कि अगर आदेश मिले तो 10 लाख नागा बाबा नागा सेना के रूप में सनातन धर्म की रक्षा के लिए आगे बढ़ेंगे, जिसके लिए उन्होंने सब कुछ बलिदान कर दिया है. एक अन्य नागा बाबा महंत सावन भारती ने आत्मरक्षा की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, “धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र रखना नितांत आवश्यक है…हम धर्म के रक्षक हैं. अगर कोई अपनी रक्षा नहीं कर सकता, तो धर्म की रक्षा कैसे कर सकता है.
उन्होंने कहा, नागा संन्यासी प्राचीन काल से हैं. आज एक नई पीढ़ी उभर रही है. सनातन धर्म की रक्षा के लिए शस्त्रों का ज्ञान आवश्यक है. नागा साधु सभी शस्त्रों में पारंगत होते हैं. अगर कोई कृत्रिम साधनों पर निर्भर हो जाता है, तो वह प्राकृतिक साधनों को भूल जाता है. आज के आधुनिक हथियारों के कारण हम अपनी ताकत को भूल गए हैं.
अंबुबाची महायोग का शेड्यूल
प्रवृत्ति (धरती माता के मासिक धर्म की अवधि): 22 जून, दोपहर 2:56 बजे, 27 सेकंड.
मंदिर के दरवाजे बंद: 22 से 25 जून तक.
तीर्थयात्रियों के लिए मंदिर के दरवाजे खुलेंगे: 26 जून की सुबह, कामाख्या देवी के स्नान और दैनिक अनुष्ठानों के बाद.
विशेष दर्शन (501 रुपये): 27 जून को उपलब्ध नहीं होंगे.
VIP/VVIP दर्शन: 21 जून से 30 जून तक उपलब्ध नहीं होंगे.
अंबुबाची महायोग के दौरान मंदिर प्राधिकरण की व्यवस्था
इस वर्ष, नीलाचल पहाड़ी के आसपास के क्षेत्र में तीर्थयात्रियों के लिए कोई आवास या भोजन वितरण सुविधा नहीं होगी. निचली कामाख्या से आने वाले पैदल मार्गों और वाहन मार्गों पर अंतराल पर चिकित्सा सेवाएं, पेयजल और विश्राम स्थल उपलब्ध रहेंगे. कानून और व्यवस्था और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए, देवालय ने 120 स्थायी सुरक्षा कर्मियों, 400 स्काउट-गाइड, 150 स्वयंसेवकों और 250 अस्थायी सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया है.
मंदिर परिसर के चारों ओर 500 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. 200 स्थायी सफाई कर्मचारियों के अलावा 110 अस्थायी सफाई कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है. 26 जून को दर्शन के लिए एकत्रित होने वाले भक्तों की सुविधा के लिए, नीलचल की तलहटी में बंशीबागान में अस्थायी विश्राम स्थल, चिकित्सा सेवाएं, चेंजिंग रूम और पेयजल सुविधाओं की व्यवस्था की गई है.
भीड़ की आशंका के कारण, भक्तों को शाम 6 बजे के बाद नीलाचल पहाड़ी में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. पांडु को कामाख्या मंदिर से जोड़ने वाली वैकल्पिक सड़क भी भूस्खलन की आशंका के कारण बंद है.