बिट्टू सिहं राजपूत ,सरगुजा। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेश के अस्पतालों में मीडिया कवरेज पर लगाए गए प्रतिबंध के फैसले का विरोध तेज़ होता जा रहा है। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने इस आदेश को न केवल लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला बताया, बल्कि आम नागरिकों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ भी करार दिया है।
श्री सिंहदेव ने कहा कि अस्पतालों में व्याप्त अव्यवस्थाओं और खामियों को सामने लाना बेहद जरूरी है, और यह काम मीडिया ही कर सकती है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि पत्रकारों को अस्पतालों से दूर रखा जाएगा, तो आम जनता की आवाज़ कौन उठाएगा? उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या इस रोक का उद्देश्य व्यवस्था की खामियों को छुपाना है?
पूर्व मंत्री ने यह भी जोड़ा कि मीडिया को अस्पतालों की कवरेज से कोई निजी लाभ नहीं होता, बल्कि इससे मरीजों और आम नागरिकों को फायदा होता है। जब किसी अव्यवस्था की खबर सामने आती है, तब संबंधित विभाग सक्रिय होता है और सुधार की दिशा में कदम उठाता है।
बता दें कि हाल ही में छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल परिसरों में मीडिया कवरेज पर पाबंदी लगाने संबंधी आदेश जारी किया है। इस आदेश में पत्रकारों को अस्पतालों में रिपोर्टिंग करने से रोकने की बात कही गई है। इस कदम को प्रदेश भर के पत्रकारों ने न केवल अनुचित बताया, बल्कि इसे “तुगलकी फरमान” करार दिया है।
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या स्वास्थ्य विभाग अपनी लचर व्यवस्था को मीडिया की निगाहों से छुपाने की कोशिश कर रहा है? क्या इस आदेश से भ्रष्ट अधिकारियों को खुली छूट दी जा रही है?
इस आदेश के बाद न सिर्फ पत्रकारों, बल्कि आम नागरिकों में भी नाराजगी देखी जा रही है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या पत्रकारों के विरोध के बाद विभाग यह आदेश वापस लेगा या इसे लागू कर लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों को चुनौती देता रहेगा।