आपने बहुत से लोगों को कहते सुना होगा पैरों में दर्द है या एड़ियों में दर्द के साथ जलन तो पहचानें बीमारी, इन Warning Signs को ज्यादातर लोग कर देते इग्नोर

सेहत।आपने बहुत से लोगों को कहते सुना होगा कि उनके पैरों में दर्द है या एड़ियों में दर्द के साथ जलन हो रही है लेकिन ऐसा होता क्यों है क्या इस बारे में आप जानते हैं? अगर नहीं तो चलिए आज इस बारे में ही आपको बताते हैं, क्योंकि पैरों के जरिए हम कई तरह की हैल्थ समस्याओं (Health Warning Signs in Feet) का पता लगा सकते हैं कि आपके शरीर में किस विटामिन या पोषक तत्व की कमी है और आप कौन सी हैल्थ प्रॉब्लम की चपेट में आ रहे हैं। 

पैरों में सूजन   |

पैरों में सूजन रहना भी कई तरह की हैल्थ प्रॉब्लम की ओर इशारा करती हैं। पैरों में सूजन होने की बड़ी वजह लिवर डिसीज, हार्ट डिसीज, हीमोग्लोबिन की कमी, किडनी फंक्शन का सही तरीके से काम ना करना हो सकता है। 

पैरों में झुनझुनी और सुन्नता |

बहुत से लोगों के पैर बार-बार सुन्न होते हैं जिसे झुनझुनी होना भी कहा जाता है। कभी कभार ऐसा हो तो घबराने वाली बात नहीं है लेकिन अगर लगातार ऐसा हो रहा है तो इसके पीछे की वजह विटामिन बी 12 या विटामिन ई की कमी हो सकती है। 

टखने में दर्द |

अगर टखने में लगातार दर्द बना रहता है, तो इसे हल्के में लेना सही नहीं है क्योंकि इसके पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं। सबसे पहले देखने वाली बात यह है कि यूरिक एसिड का स्तर बढ़ा हुआ तो नहीं है, क्योंकि हाई यूरिक एसिड के कारण जोड़ो में सूजन और दर्द की समस्या, खासकर टखनों में, आम हो जाती है। दूसरा बड़ा कारण विटामिन डी की कमी भी हो सकती है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और उनमें सूजन या दर्द होने लगता है। यदि जांच में इन दोनों कारणों की पुष्टि नहीं होती है, तो किसी पुरानी अंदरूनी चोट, लिगामेंट की खिंचाव या हल्की हड्डी की चोट भी इसके पीछे जिम्मेदार हो सकती है, जो समय के साथ गंभीर रूप ले सकती है। इसलिए टखने में लगातार दर्द हो, तो डॉक्टर से परामर्श लेकर जरूरी टेस्ट करवाना जरूरी होता है, ताकि सही इलाज समय पर शुरू किया जा सके।

पैरों पर मकड़ी जाल के नक्शे |
कई लोगों के पैरों पर नीली या लाल रंग की पतली नसें मकड़ी जाल जैसी फैली हुई नजर आती हैं, जिसे स्पाइडर वेन्स कहा जाता है। ये आमतौर पर त्वचा की सतह के बिलकुल नीचे होती हैं और दिखने में मकड़ी के जाले जैसी लगती हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे ईस्ट्रोजन हार्मोन की अधिकता, लिवर का खराब फंक्शन, खराब ब्लड सर्कुलेशन, या लंबे समय तक खड़े रहने की आदत। महिलाओं में यह समस्या हार्मोनल असंतुलन की वजह से ज्यादा देखी जाती है, खासकर प्रेग्नेंसी, मेनोपॉज़ या बर्थ कंट्रोल पिल्स के सेवन के दौरान। अगर यह समस्या लगातार बढ़ती जाए या दर्द देने लगे, तो डॉक्टर से परामर्श जरूर लेना चाहिए। साथ ही, स्वस्थ जीवनशैली, सही खान-पान और नियमित व्यायाम से इसे काफी हद तक रोका जा सकता है।

एड़ियों में दर्द  | 

एड़ियों में दर्द रहना आजकल एक बहुत आम समस्या बन गई है, जो अक्सर लंबे समय तक खड़े रहने, ज्यादा चलने या गलत जूते पहनने से जुड़ी मानी जाती है, लेकिन इसके पीछे पोषक तत्वों की कमी भी एक महत्वपूर्ण कारण हो सकती है। कैल्शियम की कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और उनमें सूक्ष्म दरारें या सूजन आने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं, मैग्नीशियम मांसपेशियों और नसों के सुचारू संचालन में मदद करता है, जिसकी कमी से ऐंठन या दर्द हो सकता है। विटामिन डी शरीर में कैल्शियम के अवशोषण के लिए जरूरी होता है, और इसकी कमी से हड्डियों में सूजन, कमजोरी और दर्द होने लगता है। एड़ियों के लगातार दर्द को नजरअंदाज करना सही नहीं है; ऐसे लक्षण दिखने पर डॉक्टर से जांच करवाकर आवश्यक सप्लीमेंट्स और संतुलित आहार लेना आवश्यक हो सकता है।

फटी एड़िया |

फटी हुई एड़ियां केवल बाहरी सूखेपन या लापरवाही का नतीजा नहीं होतीं, बल्कि इसके पीछे कई बार शरीर के अंदरूनी पोषण की कमी भी जिम्मेदार होती है। विटामिन B3 (नियासिन) और B7 (बायोटिन) की कमी से त्वचा रूखी, खुरदरी और कमजोर हो जाती है, जिससे एड़ियां फटने लगती हैं। इसी तरह, आयरन की कमी से शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति कमजोर हो जाती है, जिससे त्वचा की कोशिकाएं कमजोर पड़ जाती हैं। इसके अलावा, ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी त्वचा की प्राकृतिक नमी और लचीलापन घटा देती है, जिससे एड़ियां कठोर होकर फटने लगती हैं। इसलिए, संतुलित आहार लेना, जैसे हरी सब्ज़ियां, नट्स, बीज, और मछली आदि का सेवन, त्वचा को अंदर से पोषण देता है और एड़ियों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।

पैरों में ऐंठन होना | 
पैरों में बार-बार ऐंठन या मरोड़ महसूस होना केवल थकान या अधिक चलने का नतीजा नहीं होता, बल्कि इसके पीछे शरीर में सोडियम, विटामिन B12, और पोटैशियम जैसे जरूरी पोषक तत्वों की कमी भी हो सकती है। सोडियम शरीर में इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बनाए रखता है और उसकी कमी से मांसपेशियों में सिकुड़न या ऐंठन शुरू हो सकती है। विटामिन B12 की कमी नसों की कार्यक्षमता को प्रभावित करती है, जिससे पैरों में झुनझुनी, कमजोरी या ऐंठन जैसी समस्याएं होने लगती हैं। वहीं, पोटैशियम मांसपेशियों के संकुचन और विश्राम में अहम भूमिका निभाता है, और इसकी कमी से पैरों की मांसपेशियां कठोर होकर दर्द करने लगती हैं। ऐसे में संतुलित आहार, पर्याप्त पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स का सेवन जरूरी होता है। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से खून की जांच करवाकर सही सप्लिमेंट भी लिया जा सकता है।

ठंडे पैर |

अगर किसी व्यक्ति के पैर हर मौसम में ठंडे रहते हैं, तो यह केवल बाहरी तापमान की वजह नहीं होता, बल्कि इसके पीछे कुछ गंभीर पोषण संबंधी कमियां भी हो सकती हैं। आयोडीन की कमी से थायरॉइड ग्रंथि की कार्यक्षमता प्रभावित होती है, जिससे हाइपोथायरॉइडिज्म हो सकता है। यह स्थिति शरीर की मेटाबॉलिज्म दर को धीमा कर देती है, जिससे हाथ-पैरों में ठंडक महसूस होने लगती है। वहीं, एनीमिया, यानी शरीर में आयरन की कमी, खून में ऑक्सीजन की आपूर्ति को कम कर देता है, जिससे विशेषकर पैरों जैसे दूर के अंगों में पर्याप्त गर्मी और ऊर्जा नहीं पहुंच पाती। इस कारण पैरों में हमेशा ठंडापन बना रहता है। ऐसे लक्षण दिखने पर आयोडीन युक्त आहार (जैसे आयोडाइज्ड नमक, समुद्री सब्जियां) और आयरन युक्त भोजन (पालक, अनार, गुड़ आदि) का सेवन फायदेमंद होता है। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से ब्लड टेस्ट करवा कर सप्लिमेंट लेना भी जरूरी हो सकता है।

डिस्कलैमरः जरूरी नहीं जो संकेत बताए गए हैं वहीं पैरों की समस्या से जुड़े हो। अगर समस्या लगातार है तो डॉक्टरी परीक्षण करवाकर इलाज तुरंत शुरू करवाएं ताकि बीमारी को समय रहते जड़ से खत्म किया जा सकें।  
 

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