महामाया पहाड़ पर अतिक्रमण हटाने की बड़ी कार्रवाई के बीच हाईकोर्ट का आदेश ,4 बुलडोजर ने 40 घरो को कर दिया जमींदोज

बिट्टू सिहं राजपूत ,अंबिकापुर। महामाया पहाड़ पर वन विभाग द्वारा अतिक्रमण हटाने की बड़ी कार्रवाई के तहत सोमवार को 40 मकानों को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया। इस दौरान विरोध कर रहे अतिक्रमणकारियों और स्थानीय नेताओं को प्रशासन ने हल्का बल प्रयोग कर हटाया। पुलिस, वन विभाग, नगर निगम और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने सुबह 9 बजे से कार्रवाई शुरू की।

कार्रवाई का विरोध और तनावपूर्ण माहौल

कार्रवाई के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मोहल्ले वासी जेसीबी के सामने धरने पर बैठ गए। लोगों ने प्रशासन से कुछ और समय देने की मांग की, जिसे खारिज कर दिया गया। एएसपी अमोलक सिंह ढिल्लो के नेतृत्व में पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर धरने पर बैठे लोगों को हटाया।

आशियाने उजड़ते देख रोते-बिलखते लोग

मकानों के टूटने से प्रभावित परिवारों में मातम छा गया। लोग अपने टूटे हुए घरों का सामान खुले मैदानों और दूसरों के घरों में रखने को मजबूर हुए। बेघर हुए नजीरुद्दीन, जो झारखंड से यहां आकर 25 वर्षों से रह रहे थे, ने कहा, “अब हम कहां जाएंगे? किराए पर घर लेना भी हमारे बस में नहीं।”

पृष्ठभूमि: वर्षों से बढ़ता अतिक्रमण

महामाया पहाड़ पर खैरबार, बधियाचुआं और नवागढ़ इलाकों में वर्षों से बाहरी और स्थानीय लोगों ने अतिक्रमण कर घर बना लिए थे। वर्ष 2017 में वन विभाग ने 60 अतिक्रमणकारियों को बेदखली का नोटिस जारी किया था, लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते कार्रवाई नहीं हो सकी। 2022 में भाजपा नेता आलोक दुबे ने दोबारा इस मामले को उठाया। जांच में 468 अतिक्रमणकारियों की पहचान की गई थी।

वन मंत्री के निर्देश पर हुई कार्रवाई

15 जनवरी को सरगुजा प्रवास पर आए वन मंत्री केदार कश्यप ने विभागीय अधिकारियों को फटकार लगाते हुए 60 मकानों को हटाने के निर्देश दिए। इसके बाद 17 जनवरी को 182 अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी कर 3 दिन का समय दिया गया।

हाईकोर्ट के आदेश पर रुकी कार्रवाई

सोमवार को 4 बुलडोजरों के साथ कार्रवाई की गई। दोपहर 1 बजे तक 40 मकानों को तोड़ दिया गया। इसी बीच प्रभावित परिवारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसके बाद अदालत ने फिलहाल 5 दिनों के लिए कार्रवाई पर रोक लगा दी।

बेघर हुए 40 परिवारों का संघर्ष

बेघर परिवार कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। कई परिवारों ने टेंट लगाकर रात बिताने की तैयारी की। बच्चों की पढ़ाई और परिवार के भविष्य को लेकर लोग चिंतित हैं।

पहले ही दिया गया था नोटिस

प्रशासन का कहना है कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पूरी तरह नियमानुसार की जा रही है। प्रभावित परिवारों को पहले ही नोटिस देकर समय दिया गया था।

कांग्रेस विरोध में

इस मुद्दे पर राजनीतिक रंग भी गहराता जा रहा है। वर्ष 2022 में भाजपा और कांग्रेस नेताओं के बीच इस मामले को लेकर तीखी बयानबाजी हुई थी। अब भाजपा सरकार में कार्रवाई को लेकर कांग्रेस नेताओं ने विरोध जताया है।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद 5 दिनों तक कार्रवाई रुकी रहेगी। मामले की अगली सुनवाई के बाद ही यह तय होगा कि बचे हुए अतिक्रमण को हटाया जाएगा या नहीं।

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