सूरजपुर जिले का वो अद्भुत जगह… जो पौराणिक मान्यताओं व प्राकृतिक खूबसूरती सजी है…जानिए यहां क्या है खास…!

बिट्टू सिहं राजपूत ,सूरजपुर । जिले का सारा और धाम अपने आप में एक अनोखी विरासत और रहस्य समेटे हुए हैं। यह धार्मिक स्थल और पर्यटक स्थल न केवल अपनी प्राचीन मान्यताओं और कथाओं के लिए प्रसिद्ध है बल्कि इसकी प्रकृति सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व भी लोगों को आकर्षित करते हैं ।छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले से करीब 40 किलोमीटर दूर झिलमिली प्रतापपुर मार्ग पर स्थित यह स्थान श्रद्धालु और पर्यटकों के लिए विशेष महत्व रखता है।

सारासोर धाम के केंद्र में एक टापू पर भोलेनाथ और सतलोकी देवी का मंदिर स्थित है। ऐसा मान्यता है, कि प्राचीन समय में यहां के बैगा पुजारी नदी के नीचे बने जल मार्ग से पाताल लोक में जाकर देवी मां की पूजा करते थे । जब बैगा एक बार अपनी तलवार पाताल लोक में भूल गए ,तो देवी मां क्रोधित हो गई और उन्हें वहां आने से मना कर दिया। तब से पूजा केवल नदी के ऊपर बने मंदिर में होने लगी। इस मंदिर को लेकर लोगों की आस्था इतनी गहरी है, कि वह इसे पताल लोक का द्वारा मानते हैं।

यहां देखिए सारासोर का अद्भुत दृश्य

सारासोर धाम के आसपास बहने वाली महानदी की गहराई आज तक कोई नहीं माप सका है। स्थानीय बुजुर्गों का कहना है कि इस नदी का पानी, भरी गर्मियों में भी कभी नहीं सूखता है। वैज्ञानिक और शोधकर्ता इस रहस्य को समझने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह स्थान अब तक अनसुलझा बना हुआ है।

सरासोर धाम का रामायण काल से गहरा रिश्ता है ।यहां के स्थानीय बुजुर्ग बताते हैं ,कि भगवान राम लक्ष्मण और माता सीता ने अपने वनवास के दौरान यहां विश्राम किया था। राम वन गमन पथ का यह प्रमुख स्थल माना जाता है ,कहा जाता है कि भगवान राम यहां सरोवर बनाना चाहते थे ।लेकिन स्थानीय निवासियों की आग्रह पर यह योजना रोक दी गई। इसके बाद नाग देवता ने दो पहाड़ों को तोड़कर नदी का प्रवाह बदल दिया जिससे यह स्थान डूबने से बच गया।

यह स्थान को प्रकृति सुंदरता और धार्मिक महत्व एक अद्वितीय स्थान बनाते हैं। हालांकि प्रशासन इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए प्रयासरत है । पहाड़ों के बीच यह स्थिति स्थान निर्मल धारा और हरियाली से भरपूर है ,जो कि किसी भी पर्यटक को मंत्रमुग्ध कर सकता है।

भटगांव क्षेत्र के पूर्व विधायक पारसनाथ राजवाड़े ने इस स्थान की पौराणिकता और पर्यटन क्षमता पर जो देते हुए इसे विकसित करने की मांग की है। पुरातत्व विभाग ने भी इस क्षेत्र को ऐतिहासिक महत्व बताते हुए संरक्षण और विकास की आवश्यकता पर बल दिया हैं।

सारासोर धाम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया में प्रशासन कई योजनाएं बना रहा है। स्थानीय लोगों को उम्मीद है ,कि इससे न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि क्षेत्र के आर्थिक विकास में भी मदद होगी।

सारासोर धाम केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है ,बल्कि यह प्राकृतिक इतिहास और आस्था का संगम है .यह स्थान आने वाले समय में न केवल श्रद्धालुओं के लिए बल्कि प्राकृतिक प्रेमियों और इतिहास के शोधकर्ताओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा, कि प्रशासन इसे पर्यटन स्थल के रूप में कब तक विकसित करता है।

खबरें और भी हैं...

फॉलो करें

64,000FansLike
47FollowersFollow
5,480SubscribersSubscribe

ट्रेंडिंग

WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें