हाथोर समाचार ! नंदकुमार कुशवाहा

बलरामपुर। मेहनत और लगन से की गई खेती न सिर्फ अच्छी आमदनी का जरिया बनती है, बल्कि किसानों के जीवन में आत्मनिर्भरता का रास्ता भी खोलती है। इसका उदाहरण पेश किया है बलरामपुर जिले की राधाकृष्णानगर ग्राम पंचायत के किसान अंकित मंडल ने।

अंकित मंडल पिछले छः-सात वर्षों से खीरे की खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें इस खेती की प्रेरणा अंबिकापुर क्षेत्र के एक गांव से मिली थी, जहां पहली बार उन्होंने खीरे की व्यावसायिक खेती देखी। इसके बाद उन्होंने इसे आजीविका का साधन बनाने का निश्चय किया। शुरुआत में उन्होंने डेढ़ लाख रुपये की लागत से खेती शुरू की। शुरुआती कठिनाइयों और जोखिमों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत जारी रखी।

उनकी लगन का नतीजा यह हुआ कि आज हर सीजन में उन्हें तीन से चार लाख रुपये तक का शुद्ध लाभ होता है। खीरे की फसल तैयार होते ही उसकी आपूर्ति स्थानीय मंडियों के अलावा आसपास के जिलों और अन्य राज्यों तक भी की जाती है। बाजार में खीरे की लगातार मांग होने से उन्हें स्थायी आय का भरोसेमंद साधन मिला है।
खेती में सफलता के पीछे अंकित मंडल ने आधुनिक तकनीक और सही फसल चयन को अहम बताया। उनका मानना है कि यदि किसान मेहनत और योजना के साथ कृषि कार्य करें तो यह किसी भी सरकारी नौकरी से कम स्थायी और लाभकारी नहीं है। उन्होंने क्षेत्र के युवाओं से भी खेती को केवल पारंपरिक दृष्टिकोण से न देखकर एक व्यवसाय की तरह अपनाने की अपील की।
अंकित की इस सफलता ने आसपास के किसानों को भी प्रेरित किया है। अब कई किसान खीरे की खेती को अपनाने की तैयारी कर रहे हैं। स्थानीय कृषक समितियों का कहना है कि इस तरह की कहानियां ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ-साथ क्षेत्र के किसानों को आधुनिक खेती की ओर अग्रसर करती हैं।
खेती-किसानी के दौर में जहां किसान अक्सर घाटे और कर्ज की चर्चा करते हैं, वहीं अंकित मंडल ने यह साबित किया है कि नई सोच और मेहनत से कृषि भी सफलता और समृद्धि की कहानी लिख सकती है।