हाथोर समाचार ! बिट्टू सिंह राजपूत
अंबिकापुर। सूरजपुर जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था इन दिनों पूरी तरह वेंटिलेटर पर नजर आ रही है। अस्पताल की अव्यवस्था और जिम्मेदारों की लापरवाही एक बार फिर सामने आई है। बुधवार देर रात जिला अस्पताल सूरजपुर में इलाज के लिए पहुंची ग्राम पीढ़ा की गर्भवती महिला को समय पर उपचार और दवा नहीं मिली, जिससे उसकी मौत हो गई। मौत के बावजूद डॉक्टरों ने परिजनों को गुमराह करते हुए महिला को ‘गंभीर स्थिति’ बताकर अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। वहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने साफ कहा कि महिला पहले ही मर चुकी थी।

इसी बीच और भी चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि 108 एम्बुलेंस स्टाफ ने मृतका के परिजनों से रेफरल प्रक्रिया के दौरान 800 रुपये रिश्वत भी वसूल ली।
परिजनों के गंभीर आरोप
महिला के परिजनों ने सूरजपुर जिला अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही और लापरवाह स्वास्थ्य सेवाओं का खुला आरोप लगाया। मृतका के भाई गोपाल राजवाड़े ने कहा –“बहन को रात 11 बजे अस्पताल लाए, तीन घंटे तक रखा गया लेकिन कोई उपचार नहीं किया गया। हालत बिगड़ने पर बिना बताए रेफर कर दिया। मेडिकल कॉलेज में बताया गया कि पहले ही मौत हो चुकी थी।”
मितानिन सुगंती राजवाड़े ने भी कहा – “नर्स और स्टाफ से बार-बार इलाज की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। मौत हो जाने पर आनन-फानन में डॉक्टर आए और रेफर कर दिया। यह सीधी लापरवाही है।”
भ्रष्टाचार और ट्रांसफर सेटिंग के सवाल
सूत्रों के अनुसार, जिला अस्पताल में पदस्थ सहायक ग्रेड-2 लेखपाल संजय सिन्हा लंबे समय से विवादों में है। आरोप है कि वह सरकारी पैसों में कमीशन सेटिंग का माहिर माना जाता है। यही वजह है कि उसका ट्रांसफर होने के बाद भी रिलीव नहीं किया गया और अधिकारियों ने उसकी “काबिलियत” की पुलिंदा बांधना शुरू कर दिया। सवाल यह उठता है कि क्या अस्पताल में दवाएं और सुविधाएं सुनिश्चित करने के बजाय जिम्मेदार अधिकारी ऐसे कर्मचारियों को बचाने में ज्यादा रुचि रखते हैं?
बहरहाल सूरजपुर अस्पताल में घटित यह घटना स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत और जिम्मेदारों की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े करती है। भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी और लापरवाही के बीच गरीब मरीजों की जान दांव पर लग रही है।
प्रशासन की सफाई
इन गंभीर आरोपों पर सूरजपुर जिला अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अजय मरकाम ने कहा कि परिजनों के आरोप निराधार हैं ।