कोरबा। छत्तीसगढ़ का कोरबा जिला आजकल ‘नागलोक’ बनता जा रहा है. घने जंगलों से घिरा ये इलाका वन्यजीवों का घर तो है ही, साथ ही सांपों की भी यहां अनेकों प्रजातियां पाई जाती हैं. पूरे मध्य भारत में अकेला कोरबा ही ऐसा जिला है, जहां विश्व का सबसे बड़ा विषधर, किंग कोबरा, शान से अपना आशियाना बनाए हुए है।
लेकिन, बात अगर सर्पदंश की करें, तो यहां मौत की नींद सुलाने वाले दो ही नाम सबसे आगे हैं. जिसमें करैत और कोबरा शामिल है.इन खतरनाक सांपों के खतरे को देखते हुए कोरबा में ‘स्नेक बाइट मैनेजमेंट वर्कशॉप’ का आयोजन किया गया।
इस वर्कशॉप में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से आए स्वास्थ्य कर्मियों और छात्रों को सांप के काटने से पहले और बाद में बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में विशेषज्ञों ने जानकारी दी।
सरगुजा से आए विशेषज्ञ डॉ. चैतन्य मलिक ने बताया कि वे एक स्वयंसेवी संस्था ‘संगवारी’ के साथ समुदायों के बीच स्वास्थ्य पर काम करते हैं. उनके अनुभव के अनुसार, सर्पदंश के जितने भी मामले उन्होंने देखे हैं, उनमें सबसे ज्यादा मौतें करैत और कोबरा के काटने से ही हुई हैं. कोरबा और इसके पड़ोसी जिले सरगुजा जंगलों से घिरे हुए हैं. यही कारण है कि यहां सांपों की अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं. कुछ सांप तो ऐसे भी हैं, जो विलुप्त होने की कगार पर हैं।
लेकिन, यहां पाए जाने वाले ज्यादातर सांप जहरीले नहीं होते. फिर भी, कोरबा जिले में लोगों को मौत के आगोश में धकेलने में करैत और कोबरा सबसे आगे हैं।
क्यों जरूरी है सावधानी?
करैत और कोबरा दोनों ही बेहद जहरीले सांप हैं. इनका जहर तंत्रिका तंत्र (Nervous System) पर सीधा हमला करता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है और अंततः मौत हो जाती है. इसलिए, कोरबा के लोगों को इन सांपों से विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
बचाव के उपाय
जंगल या खेतों में जाते समय हमेशा लंबी जूते और कपड़े पहनें.
अंधेरे में या घास में नंगे पैर न चलें.
अपने घर के आस-पास सफाई रखें ताकि सांपों को छिपने की जगह न मिले.
सांप दिखने पर उसे छेड़ने की कोशिश न करें, बल्कि तुरंत वन विभाग को सूचित करें.
सर्पदंश की स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें