एसईसीएल पर कैसे करें विश्वास,23 साल के बाद भी न मुआवजा और नहीं नौकरी

प्रतापपुर तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत बंशीपुर का मामला,शिवानी के लिए हुई थी जमीन अधिग्रहीत

सूरजपुर।नई खदान खोलने होता है तो एसईसीएल पुनर्वास नीति के तहत नौकरी और मुआवजा देने का भरोसा देता है लेकिन प्रतापपुर तहसील अंतर्गत शिवानी कोयला खदान की स्थिति देख कोई कैसे इन पर विश्वास करे।बंशीपुर के सुखलाल ठगे जाने का एक बड़ा उदाहरण हैं जो 23 साल से इस उम्मीद में हैं कि अब उन्हें मुआवजा के साथ नौकरी मिलेगी।

मिली जानकारी के अनुसार मुख्यतः बंशीपुर में शिवानी भूमिगत कोयल खदान खोली गई थी जिसके लिए बड़ी संख्या में निजी भूमियों का अधिग्रहण किया गया था।उस समय तत्काल मुआवजा और नौकरी देने का आश्वासन दिया गया था लेकिन बहुत से परिवार हैं जिन्हें आज भी इनका लाभ नहीं मिला है।इन्हीं में से एक सुखलाल पिता जितुलाल जो एसडीएम कार्यालय में मंगलवार को किसी काम से आए थे, बताते हैं कि उनके पिता के नाम की जमीन 2001 के आसपास अधिग्रहीत की गई थी जिनका खसरा नम्बर 1978 और 1979 तथा रकबा करीब ढाई एकड़ है,इनका पट्टा उन्हें 72-73 मिला था और प्रमाण पत्र भी उनके पास है।

उन्हें भी एसईसीएल द्वारा बताया गया था कि जमीन अधिग्रहीत होते के साथ ही मुआवजा और नौकरी दी जाएगी लेकिन जमीन अधिग्रहीत करने के बाद एसईसीएल भूल गया।आज 23 साल के लगभग हो गए हैं लेकिन वे इन लाभ से वंचित हैं,उनकी जमीन चली गई लेकिन अपने अधिकार के लिए आज भी भटकना पड़ रहा है।पीड़ित का कहना है कि अगर यह जमीन इतने वर्षों तक उनके पास होती तो लाखों रुपए की आमदनी फसलों के रूप में हो जाती लेकिन एसईसीएल को जमीन देकर उनके पास कुछ भी नहीं बचा।बात करें एसईसीएल पर विश्वास की तो खदान खोलने से खेल कई तरह के वादे किए जाते हैं लेकिन जब खदान शुरू हो जाती है तो प्रभावितों को लाभ देने कोई पहल इनके अधिकारी नहीं करते हैं,ऐसी स्थिति में कोई भूस्वामी एसईसीएल पर विश्वास करे तो करे कैसे,यह एक बड़ा सवाल है,झूठे आश्वासन के अलावा इसका जवाब एसईसीएल के पास भी नहीं होता है।

3 लाख का मुआवजा मिलेगा और इससे ज्यादा खर्च…

सुखलाल ने जानकारी देते हुए बताया कि अभी कुछ दिनों से एसईसीएल के अधिकारी वंचित लोगों की सूची बना रहे हैं।उनकी बात करें तो उनका मुआवजा तीन लाख बताया जा रहा है,अब इस तीन लाख से उनका जीवन कैसे संवरेगा।हमारी ढाई एकड़ जमीन गई है,इस तीन लाख से पचास डिम्समिल जमीन भी नहीं मिलेगी।इतना ही नहीं इस मुआवजा के लिए उन्हें विभिन्न कार्यालयों के कई चक्कर काटने पड़ रहे हैं,कई हजार खर्च हो चुके हैं।

कई बात आंदोलन हो चुके,बड़ी संख्या में एसईसीएल द्वारा ठगे गए आदिवासी….

सुखलाल बताते हैं कि बंशीपुर में ऐसे लोगों की संख्या बहुत है जिनकी जमीन अधिग्रहीत हुई है और ठगा सा महसूस करते हैं।ग्रामीण कई बार एसईसीएल के साथ प्रशासन से मांग कर चुके हैं,कई बार आंदोलन भी हुए हैं हर बार केवल आश्वासन मिला लेकिन एसईसीएल ने अपना वादा कभी पूरा नहीं किया।वे बताते हैं कि इनमें लगभग आदिवासी परिवार हैं और उनके जीवन का आधार उनकी जमीन छीन चुकी है।कुछ इस तरह की स्थिति कल्याणी खदान को लेकर भी थी और यहां के लिए भी आंदोलन हो चुके हैं।

गांवों में आएं,ग्राम सभा में लें सहमति और फिर कोयला खदान खोलने को लेकर सोचें

मदननगर खुली खदान परियोजना को लेकर ग्रामीणों और प्रशासन के साथ एसईसीएल के बीच खींचतान की स्थिति बनी हुई है।ग्रामीण पेसा कानून के विपरीत जबरन कोयला खदान खोलने का आरोप लगा रहे हैं,उनका कहना है कि खदान खोलने के पक्ष में न ग्राम सभा हुई है और नहीं प्रस्ताव हुआ है फिर खदान कैसे खुल सकती है।गौरतलब है कि पिछले दिनों सर्वे के दौरान विवाद की स्थिति निर्मित हो गई थी और अधिकारियों को मौके से भागना पड़ा था।आज मंगलवार को प्रशासन ने ग्रामीणों के साथ एक बैठक निर्धारित की थी ताकि उन्हें समझाते हुए खदान खोलने को लेकर सहमति बनाई जा सके लेकिन यहां ग्रामीणों ने कोई भी बात ग्राम सभा में करने की कही।

मिली जानकारी के अनुसार जनपद कार्यालय में हुई बैठक के दौरान जिला पंचायत सीईओ,एसडीएम,तहसीलदार,जनपद सीईओ प्रशासन की ओर से मौजूद थे।वहीं मदननगर,जगन्नाथपुर तथा कनकनगर से बाबूलाल पोया के साथ गांवों के प्रतिनिधि मौजूद थे।अधिकारियों ने अपनी बात रखते हुए खदान खोलने को लेकर सहमति देने की बात कही।बताया जा रहा रहा है कि ग्रामीणों की ओर से बाबूलाल ने उनसे कहा कि जो भी बात होगी,ग्राम सभा में होगी। एसईसीएल के अधिकारियों को छोड़कर आप सभी अधिकारी आएं और ग्राम सभा में सहमति लें।अगर यहां सहमति मिल जाती है तो किसी को कोई दिक्कत नहीं है लेकिन ग्राम सभा के अनुमोदन के बिना वे किसी भी स्थिति में खदान को लेकर अपनी सहमति नहीं देंगें।अधिकारियों ने उनसे सीमांकन और सर्वे होने देने की बात भी कही लेकिन ग्रामीणों ने इससे भी साफ मना कर दिया और ग्राम सभा के बाद ही आगे की कार्यवाही करने की बात कही।बैठक बेनतीजा निकली और फिलहाल ऐसा लग रहा है कि खदान खोलने को लेकर ग्रामीणों के विरोध के कारण कोई रास्ता प्रशासन को नहीं दिख रहा है और सभी को इस बात का इंतजार है कि प्रशासन ग्रामीणों को तैयार करने कौन सा कदम उठाता है।

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