बिट्टू सिहं राजपूत ,सूरजपुर। जिले में सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act) की सरेआम अवहेलना का एक गंभीर मामला सामने आया है। जनपद पंचायत सूरजपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत लटोरी के जनसूचना अधिकारी और पंचायत सचिव पारस राम पैकरा ने आरटीआई कानून की गंभीर अनदेखी करते हुए जनपद सीईओ के आदेशों को लगातार तीन बार नजरअंदाज कर दिया।

सूत्रों के अनुसार, ग्राम पंचायत लटोरी से संबंधित एक आरटीआई आवेदन पर प्रथम अपील की सुनवाई जनपद पंचायत सीईओ के समक्ष दिनांक 09 नवंबर 2024 को की गई थी। अपीलीय अधिकारी ने सचिव को तीन बार नोटिस जारी कर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश दिए, लेकिन सचिव पारस राम पैकरा तीनों ही बार अनुपस्थित रहे और नोटिसों को सरेआम अनदेखा कर दिया।
जनपद सीईओ द्वारा जारी अंतिम आदेश में कहा गया है कि सचिव को तीन बार सुनवाई का अवसर दिया गया, लेकिन उन्होंने आदेशों की अवहेलना करते हुए कोई भी जवाब नहीं दिया। इससे स्पष्ट है कि पंचायत स्तर पर जनसूचना अधिकारी आरटीआई एक्ट को गंभीरता से नहीं लेते और इसकी खुल्लमखुल्ला अवहेलना कर रहे हैं।
भ्रष्टाचार छिपाने का प्रयास
विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ग्राम पंचायत लटोरी में 15वें वित्त और मूलभूत मदों में भ्रष्टाचार की आशंका जताई जा रही है। आरोप है कि सचिव द्वारा फर्जी बिलों के माध्यम से भुगतान किया गया है, जिसे छिपाने के लिए वह जानबूझकर आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी नहीं दे रहे हैं। अपीलीय आदेशों की अनदेखी भी इसी डर का नतीजा माना जा रहा है कि दस्तावेज सामने आने पर वित्तीय अनियमितताओं का पर्दाफाश हो सकता है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब एक सचिव जनपद सीईओ के आदेशों को भी नजरअंदाज करता है, तो उसके पीछे कौन-सी ताकतें हैं जो उसे संरक्षण दे रही हैं? और क्या प्रशासन ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा, जो पारदर्शिता और जवाबदेही के अधिकार को ही ठेंगा दिखा रहे हैं?
यह मामला सिर्फ एक ग्राम पंचायत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जिले में आरटीआई एक्ट की स्थिति पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।